भारत में कोरोना के चलते लाखों लोग अपने परिजनों को खो चुके हैं। इस साल के अप्रैल महीने में महामारी की तीव्रता और सरकार की लापरवाही, दोनों सबसे ज़्यादा देखने को मिली।

इसी के साथ, बीते एक हफ्ते में वैश्विक स्तर पर कोरोना के कारण मरने वाले हर चार लोगों में से एक भारतीय था।

डब्लूएचओ (WHO) ने बुधवार को बताया कि पिछले एक हफ्ते में दुनिया भर में दर्ज हुए COVID-19 मामलों में से लगभग आधे भारत से थे।

उसने अपनी रिपोर्ट में सूचित किया कि एक हफ्ते में वैश्विक कोरोना संक्रमण मामलों में से 46% मामले भारत से थे। इसी के साथ 25% मौत के मामलें भी भारत से ही थे।

देश में कोरोना की दूसरी लहर के चलते ऑक्सीजन और अस्पताल के बेड की ख़ासा दिक्कत हो गई है। सब चंगा सी’ नहीं रहा। एक साल पहले सरकार को उन्हीं की एजेंसियों ने ऑक्सीजन की कमी के बारे में आगाह किया था।

लेकिन सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। इसका परिणाम सबके सामने है। अप्रैल महीने में कोरोना से मरे लोगों की लाशों का शमशानों और कब्रिस्तानों में अंबार लग गया।

अंतराष्ट्रीय मीडिया में भी मोदी सरकार की आलोचना हो रही है। इसी के साथ-साथ सरकार पर ‘इमेज मैनेजमेंट’ के भी आरोप लग रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा “जब ऑक्सीजन सप्लाई और अस्पतालों में बेड सुनिश्चित करने के लिए कोई नहीं है, सिस्टम चरमरा गया है, तब मोदी सरकार द्वारा 300 अधिकारिओं को COVID मैनेजमेंट पर अपनी इमेज सुधारने के लिए बुलवाया जाता है।

सरकार को लाखों मरते लोगों की कोई चिंता नहीं है। उसे केवल अपनी इमेज और सेंट्रल विस्टा में बन रहे प्रधानमंत्री के 13500 करोड़ के नए घर की फ़िक्र है!”

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