8 नवंबर 2016 को नोटबंदी हुई तो सरकार का दरबारी मीडिया लोगों को नोटबंदी के फायदे गिनाने लगी। मगर अब 6 साल पूरे हो गए हैं तब ना सरकार कोई जवाब दे रही है ना मीडिया कुछ बोल रही है।

नोटबंदी के बाद कैश घटने का दावा किया गया था मगर हालिया रिपोर्ट बताती है कि कुल 72% कैश बढ़ चुका है।

इसी पर ट्वीट करते हुए जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने नोट में जीपीएस चिप बताने वाले पत्रकार सुधीर चौधरी को कहा- “यह भाईसाहब ज़ी टीवी के स्टूडियो में बैठकर हमें बता रहे थे कि नोटबंदी के क्या-क्या फायदे हैं। इन्होंने बताया नए नोटों पर नैनो चिप लगाया जाएगा जिससे उनको कहीं से भी ढूंढा जा सके!

अब जब कैश दुगना हो गया, तो यह भाई साहब आजतक में आ गए हैं। तो अब यह ढूंढ के निकाले कि कैश किसके पास है”

नोट में जीपीएस वाले पत्रकार सोशल मीडिया पर हुए वायरल

8 नवंबर 2016 की शाम से अलग अलग न्यूज चैनलों पर आने वाले सरकार के अनऑफिशियल प्रवक्ता झूठ के पुलिंदे बांधने लगे। उनमें से एक थे तब ज़ी न्यूज के पत्रकार और वर्तमान आजतक एंकर सुधीर चौधरी।

उनका कहना था कि “2000 के नोट में नैनो जीपीएस चिप लगी होगी। उसे किसी भी तरह के पावर की जरूरत नहीं होती। जब सैटेलाइट नोट की लोकेशन लेने के लिए सिग्नल भेजता है तो नोट सिग्नल रिफ्लेक्ट कर नोट की एकदम सही जानकारी भेज देता है। अगर किसी ने धन जमा किया तो उसकी लोकेशन पता चल जायेगी और वो पकड़ा जाएगा।”

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट पर खुलासा: बेअसर है नोटबंदी

अब 6 साल बाद रिपोर्ट आ रही है कि बाजार में रिकॉर्ड स्तर पर कैश का सर्कुलेशन बढ़ गया है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट कहती है कि देश में जनता के बीच मौजूद नकदी 21 अक्टूबर 2022 तक 30.88 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है जो यह दर्शाती है कि नोटबंदी के छह साल बाद भी देश में नकदी का भरपूर उपयोग जारी है। ये आंकड़ा चार नवंबर 2022 का है।

मोदी ने इस विफलता की जिम्मेदारी कभी नहीं ली

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी तक ‘नोटबंदी’ की विफलता को स्वीकार नहीं किया है। इसी फैसले के कारण अर्थव्यवस्था नीचे आ गई।

खड़गे ने आगे कहा कि सरकार ने ‘नोटबंदी’ को ‘मास्टरस्ट्रोक’ बताया था। इस मास्टरस्ट्रोक के 6 साल बाद सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नकदी 2016 की तुलना में 72 प्रतिशत अधिक है।

मल्लिकार्जुन खड़गे कहा कि देश को काले धन से मुक्त कराने के लिए नोटबंदी का वादा किया गया था। लेकिन इसने व्यवसायों को नष्ट कर दिया और नौकरियों को बर्बाद कर दिया।

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