नीतीश कुमार की जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) ने भले ही लोकसभा में नागरिक संशोधन विधेयक (CAB) का समर्थन कर दिया हो, लेकिन पार्टी के सभी नेता इसपर एकमत नहीं हैं। पार्टी के कई नेता बिल का समर्थन किए जाने का विरोध कर रहे हैं।

जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पार्टी के स्टैंड पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की है। उन्होंने कहा कि नागरिक संशोधन विधेयक लोगों से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। उन्होंने ये बात ट्विटर के ज़रिए देर रात लोकसभा में विधेयक पर मतदान होने के बाद कही।

उन्होंने कहा, “जदयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से निराश हुआ। यह विधेयक नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। यह पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता जिसमें धर्मनिरपेक्ष शब्द पहले पन्ने पर तीन बार आता है। पार्टी का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है”।

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साफ है कि पीके का ये बयान पार्टी के उस स्टैंड से अलग है, जिसमें जेडीयू द्वारा लोकसभा में विधेयक पर मतदान का समर्थन किया गया है। प्रशांत किशोर ने अपने बयान में साफ़ कर दिया है कि जो भी पार्टी अपने आपको गांधीवादी और सेक्युलर बताती है, वह इस बिल का समर्थन नहीं कर सकती।

क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB)?

नागरिक संशोधन विधेयक 2019 के तहत सिटिजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव का प्रस्ताव है। इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों (जैसे हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों) को आसानी से भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है।

अभी भारत की नागरिकता के लिए यहां कम से कम 11 सालों तक रहना जरूरी है। लेकिन इस बिल के पास होने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता लेने के लिए 6 साल तक ही भारत में रहना होगा। लेकिन इस बिल में मुसलमानों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

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