केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार पेगासस जासूसी मामले में विपक्षी दलों के सवालों के कटघरे में खड़ी हुई है।
इस मामले में मॉनसून सत्र के दौरान संसद में बढ़ रही महंगाई के साथ विपक्षी दलों द्वारा जासूसी कांड पर भी सरकार को घेरा जा रहा है।
शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार का जासूसी का इतिहास बहुत ही पुराना रहा है। यह सब पहले गुजरात से शुरू हुआ था। अब यह केंद्र तक आ पहुंचा है।
उन्होंने कहा, विपक्षी नेताओं के फोन कॉल रिकॉर्ड करना। यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि आज तक इस देश में डाटा प्रोटक्शन लॉ नहीं है। डाटा प्रोटक्शन लॉ में सर्विलिअन्स की बात नहीं है। यह सारे मुद्दे बहुत ही गंभीर हैं।
मैं मानती हूं कि इस पर सही मायनों पर चर्चा होनी चाहिए। इसे निकालने की बजाए केंद्र सरकार को अपनी कमियां समझने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।
इससे पहले शिवसेना ने इस पूरे मामले की जांच करवाए जाने की मांग भी की है। शिवसेना का कहना है कि अगर इस दौरान केंद्र में कांग्रेस की सरकार होती।
तो भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में हंगामा मचा देती। इस की जेपीसी जांच की जानी चाहिए। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के ही बाहर इन आरोपों को बेबुनियाद बता चुकी है।
बता दें, भारत के जिन नेताओं के फोन टैप करवाए गए हैं उनमें कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का नाम भी शामिल है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी पर जासूसी करवाए जाने के आरोप लग चुके हैं। जिसमें देश के कई पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के नाम शुमार है।
आपको बता दें कि पेगासस जासूसी मामले में फ्रांस सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। फ्रांस ने इस संदर्भ में जांच किए जाने के आदेश जारी कर दिए हैं।