भारत-चीन सीमा विवाद पर राहुल गांधी मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं। उन्होंने मोदी सरकार की रणनीति पर जमकर सवाल उठाए हैं। लेकिन अब खुद उनपर ही सवाल उठने लगे हैं। क्या उनकी विपक्ष नेता की भूमिका केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित है, या फ़िर वो सरकार से आमने-सामने होकर भी सवाल करते हैं?
‘द प्रिंट’ की ख़बर के मुताबिक राहुल गांधी ने सितंबर से रक्षा पर हुई संसदीय स्थायी समिति की सभी 11 बैठकों में हिस्सा नहीं लिया है। ये सारी बैठकें पिछले साल स्थायी समिति के बनने के बाद ही हुई हैं। राहुल गांधी इस समिति के 31सदस्यों में से एक हैं।
लोकसभा की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक राहुल एक भी बैठक में मौजूद नहीं थे।
आपको बता दें कि रक्षा मामलों को देखने के लिए बनी स्थायी समिति के 31 सदस्य होते हैं। ये सभी सांसद होते हैं। इस समिति का काम होता है रक्षा मंत्रालय पर एनुअल रिपोर्ट बनाना। मतलब ये समिति आम तौर पर रक्षा संबंधी मामलों पर सरकार के कार्यों की विश्लेषण करती है।
भाजपा के नेता सवाल उठा रहे हैं कि राहुल गांधी इन समितियों की बैठक से गायब रहते हैं, अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाते लेकिन सुरक्षा मामलों पर सरकार से सवाल करते हैं। वहीं दूसरी तरफ़ कांग्रेस की दलील है कि राहुल की इन बैठकों में गैरमौजूदगी का भारत-चीन विवाद और LAC पर बने तनाव से लेना देना नहीं है।
खैर, राहुल गांधी का अपनी ज़िम्मेदारी से भागना एक बात है और सरकार से सवाल करना दूसरी।गैरज़िम्मेदाराना रवैये पर राहुल से सवाल पूछे जाने चाहिए। लेकिन सरकार से सवाल पूछने का अधिकार तो संवैधानिक रूप से देश के सभी नागरिकों को मिला है, विपक्षी नेता को भी।