पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर हैं।

राहुल गांधी ने कहा है कि केंद्र सरकार की टैक्स वसूली के कारण गाड़ी में तेल भरवाना किसी इम्तिहान से कम नहीं है। पीएम मोदी इस पर चर्चा क्यों नहीं करतें?

मालूम हो कि पिछले 8 दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई कमी नहीं की गई है, जबकि इन दिनों में लगातार कच्चे तेल के मूल्यों में गिरावट आई है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि पीएम मोदी हर मुद्दे पर चर्चा करते रहते हैं, मन की बात करते हैं, चाय पर चर्चा करते हैं लेकिन जनता से जुड़े मुद्दों पर बात नहीं करते।

लगातार कच्चे तेल की कीमतें गिर रही हैं लेकिन केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई कमी नहीं कर रही है। देश की जनता पेट्रोलियम पदार्थों की महंगाई से त्रस्त है।

राहुल ने कहा कि जिस तरह से पेट्रोलियम पदार्थों की महंगाई से जनता का खर्चा बेहिसाब बढ़ गया है, उस खर्चे पर भी पीएम मोदी को चर्चा ज़रूर करनी चाहिए।

पिछले दिनों जब देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की जब तक घोषणा नहीं हुई थी, तब कोई ऐसा दिन बाकी नहीं रहता था, जब पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इज़ाफ़ा नहीं होता था।

लेकिन जिस दिन में पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और असम में विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई है, उस दिन से पता नहीं क्यों, पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर हैं, न बढ़ रही हैं और न घट रहीं हैं

लेकिन राहुल गांधी ने जो सवाल पूछा है, उससे केंद्र सरकार मुश्किल में पड़ सकती है। राहुल ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों को सरकार की टैक्स वसूली कहा है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी जिस टैक्स वसूली की बात कर रहे हैं, उसका गणित इस प्रकार है। पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में लगभग दो तिहाई हिस्सा टैक्स का होता है।

आंकड़ों के अनुसार, पेट्रोलियम पदार्थों पर केंद्र सरकार का उत्पाद शुल्क पेट्रोल पर प्रति लीटर 32.98 रुपये एवं डीजल पर 31.83 रुपये है। बात करें राज्य सरकारों की तो उनकी वैट की 15-25 प्रतिशत है।

मोटे तौर पर देखें तो पेट्रोलियम पदार्थों में केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी लगभग आधी आधी होती है। केंद्र और राज्य सरकारों के इसी टैक्स सिस्टम पर राहुल गांधी ने हमला बोला है।

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