सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मॉब लिंचिंग से निपटने के लिए अभी तक मणिपुर के सिवा किसी भी राज्य में सख़्त कानून नहीं बन सका है। लेकिन अब राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने इस दिशा में पहल कर दी है। राज्य सरकार ने मॉब लिंचिंग की वारदातों को रोकने के लिए कड़ा कानून बनाने का फैसला किया है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को विधानसभा में बजट भाषण के दौरान इस बात की घोषणा की कि राजस्थान में बलात्कार, मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग जैसे मामलों पर कठोर कानून बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस कानून की जानकारी स्कूली सिलेबस में भी दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 15-20 लोग इकट्ठा हो जाते हैं और फिर एक शख्स को बुरी तरह मारते हैं। समाज में बढ़ते अपराध को रोकना होगा। गहलोत ने विपक्ष के सदस्यों से पूछा कि क्या आप लोगों को मॉब लिंचिंग की घटना से दुख नहीं होता। इस पर विपक्षी सदस्यों ने भी हामी भरी।

राजस्थान में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा कि स्कूलों में बच्चों को पढ़ाया जाएगा कि महिला उत्पीड़न, महिला अपराध और बलात्कार एक बड़ा अपराध है और इसके लिए फांसी तक हो सकती है।

पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने से छात्रों में जागरूकता आएगी। इसके लिए सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों में अलग से पाठ्यक्रम रखा जाएगा। ऑनर किलिंग और मॉब लिंचिंग के लिए अलग से कानून बनाने वाला राजस्थान मणिपुर के बाद दूसरा राज्य होगा।

इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी और आरएसएस को भी घेरा। उन्होंने कहा कि देश में सेना और धर्म के नाम पर माहौल खराब किया जा रहा है। विपक्ष के लोग बताएं कि महात्मा गांधी की हत्या किसने की थी।

बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भीड़ द्वारा हो रही हिंसा, चाहे वह गोरक्षा के नाम पर हो रही हो या किसी और वजह से, को रोकना राज्यों की जिम्मेदारी है। सितंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए राज्यों के प्रत्येक जिलों में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नियुक्त करने की बात कही थी।

इसके बाद जनवरी 2018 में कोर्ट ने तीन राज्य सरकारों से से पूछा था कि उन्होंने कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here