नरेंद्र मोदी अमेरिकी दौरे पर हैं। जहाँ वह अमेरिकी राष्ट्रपति समेत अन्य कई बड़े नेताओं से मुलाकात करेंगे और भारत अमेरिका रिश्तों पर बात करेंगे।
जहाँ एक तरफ प्रधानमंत्री अमेरिका गए हुए हैं तो वहीँ दूसरी तरफ देश के किसान नए किसान बिल के खिलाफ आन्दोलन कर रहे हैं।
9 महीने से ज्यादा समय हो चुका है पर किसानों कि मांगे पूरी नहीं की गयी हैं। ऐसे में किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से मदद की गुुहार लगाईं है ।
राकेश टिकैत ने ट्वीट में लिखा- “प्रिय प्रेसिडेंट बाइडेन
‘हम भारतीय किसान पीएम मोदी सरकार द्वारा लाए गए 3 कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। पिछले 11 महीनों में विरोध प्रदर्शन में 700 किसानों की मौत हो चुकी है।
हमें बचाने के लिए इन काले कानूनों को वापस लेना चहिए। कृपया पीएम मोदी से मिलते समय हमारी चिंता पर ध्यान दें’।
Dear @POTUS, we the Indian Farmers are protesting against 3 farm laws brought by PM Modi's govt. 700 farmers have died in the last 11 months protesting. These black laws should be repealed to save us. Please focus on our concern while meeting PM Modi. #Biden_SpeakUp4Farmers
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) September 24, 2021
भारत देश का किसान अमेरिका के राष्ट्रपति से मदद की गुहार लगाने को क्यूँ मजबूर है? क्या यह सवाल देश की मीडिया ने सरकार से पूछा? 11 महीनों में 700 से भी ज्यादा किसान अपनी जान गवां चुके हैं तो इनकी जिम्मदारी कौन लेगा ?
मरने वाले किसानों की मौत हत्या कही जाएगी और उसके हत्यारे होंगे उनपर अत्याचार करने वाले। मरने वाले किसानों के परिवार का भरण पोषण कौन करेगा यह भी चिंता का विषय है।
लेकिन सरकार मानो ‘आग लगे बस्ती में हम रहते अपनी मस्ती में’ जैसा हाल बनाकर मौन बैठी है। इसी का नतीजा है कि आज देश का किसान, देश का अन्नदाता अमेरिका के राष्ट्रपति से मदद की उम्मीद कर रहा है।
हालाँकि अभी तक वाइट हाउस या फिर खुद अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। लेकिन उम्मीद की जा सकती है कि उद्द्योगपतियों के शुभचिंतक से इसी पर सवाल तो पूछा जायेगा ।
सबका साथ सबका विकास का नारा बुलंद करने वाली पार्टी भाजपा का आज वह चरित्र कहाँ है जब वह विपक्ष में बैठकर किसान हितैषी होने का दावा करती थी।
कहाँ हैं आज भाजपा की वह नेत्री जो 400 रुपये प्रति सिलिंडर होने पर सड़कों पर आन्दोलन करती थी। कहाँ गए भाजपा के वो नेता जो पिछली सरकरों में कुछ भी गलत होने पर कड़ी निंदा करते थे।
देश को एकजुट होकर स्वदेशी अपनाने का नारा देने वाले आज कहाँ गए जब देश का किसान सड़कों पर उतरा है। कहाँ गया जय जवान जय किसान का नारा।
गौरतलब है कि 11 महीने से भी ज्यादा समय से चल रहे किसान आन्दोलन में 700 से ज्यादा किसान अपनी जान गवां चुके हैं। पर एक खिलाड़ी के अंगूठे पर चोट लगने पर दुःख जताने वाले प्रधानमंत्री को किसानो का दर्द नहीं दिखाई दे रहा।
नए किसान बिल के विरोध में किसान महीनों से इस आस में बैठे हैं कि कोई उनकी बात सुनेगा पर सरकार ने कानों में ऐसी रुई डाली है कि उनमे सिर्फ उद्योगपतियों की आवाज जाती है ।