भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर वार करते हुए कहा है कि इस वक्त देश में कोई सरकार नहीं बची है।

देश को व्यापारी चला रहे हैं और इन सभी व्यापारियों ने देश के सभी सरकारी संस्थानों को बेच दिया है।

किसान नेता राकेश टिकैत जिस प्रकार से हमलावर हैं, उससे नहीं लगता है कि वो भाजपा को किसी भी हाल में बख्शने या किसी भी प्रकार के समझौते के मूड में हैं।

वहीं किसान संगठनों का गुस्सा केंद्र सरकार के साथ साथ पूंजीपतियों के खिलाफ भी बढ़ता जा रहा है।

हरियाणा में कुछ जगहों पर भाजपा नेताओं के गांव में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और साथ ही अंबानी, अडानी एवं पतंजली के उत्पादों के बहिष्कार का भी ऐलान कर दिया गया है।

वहीं उत्तर प्रदेश में चल रहे पंचायत चुनाव में भी किसान आंदोलन की आंच दिखाई दे रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई कृषि प्रधान इलाकों में भाजपा का विरोध चरम पर है।

भारतीय किसान यूनियन के विरोध की वजह से इन इलाकों में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

वहीं किसान आंदोलन कितने दिनों तक चलेगा, इस पर टिकैत ने कहा कि हम दिल्ली में जमे हुए हैं और जमे रहेंगे। जब तक केंद्र सरकार तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, हमारा आंदोलन चलता रहेगा।

वहीं टिकैत ने बताया कि हमारे आंदोलन को सरकार द्वारा निर्ममता से कुचलने का प्रयास किया जा रहा है। यु़द्धवीर सिंह सरीखे हमारे नेताओं को सभा के बीच से उठाया जा रहा है।

राकेश टिकैत की कोशिश अब भाजपा को उसके गढ़ में जाकर घेरने की है। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के राज्य गुजरात में किसान महासम्मेल की तैयारियां चल रही है।

ये महासम्मेलन 4 और 5 अप्रैल को आयोजित किए जाएंगे।राकेश टिकैत को इस आंदोलन में बड़ा साथ मिल गया है, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह बाघेला का।

बाघेला गुजरात के मुख्यमंत्री भी रहे हैं, गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी और केंद्र सरकार में मंत्री भी।

तीनों विवादित कृषि बिलों को लेकर किसान संगठनों का मानना है कि ये किसानों के शोषण का कानून है और इससे किसानों को कोई लाभ नहीं होने वाला बल्कि ये एक तरह से किसानों का डेथ वारंट है।

केंद्र सरकार चंद पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ये बिल किसानों पर थोपना चाहती है।

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