मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुआ किसान आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर लगातार चल रहा है। इस किसान आंदोलन को शुरू हुए लगभग 7 महीने हो चुके हैं।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कई बार इस किसान आंदोलन के लंबा चलने के संकेत दिए हैं।

किसान संगठनों का कहना है कि किसान आंदोलन तभी खत्म होगा। जब सरकार चाहेगी, अगर सरकार उनकी सारी मांगे स्वीकार कर ले। तो उसी वक्त किसान आंदोलन खत्म कर दिया जाएगा।

आज किसान नेता राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश के रामपुर में आंदोलन कर रहे किसानों से मिलने के लिए पहुंचे थे।

इस दौरान राकेश टिकैत ने मोदी सरकार को देश में बढ़ रहे पेट्रोल डीजल के दामों पर भी घेरा है।

उन्होंने कहा है कि बढ़ रहे डीजल के दामों को लेकर भी किसान विरोध कर रहे हैं। सरकार किसानों से यह पूछ रही है कि महंगाई से उन्हें क्या मतलब है। इस वक्त किसान अपनी जेब से डीजल खरीद रहा है।

गन्ने की फसल का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। देश के किसान की हालत इस वक्त काफी नाजुक हो चुकी है।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया है कि 5 सितंबर को किसान संगठनों द्वारा एक महापंचायत बुलाई गई है। ऐसा लग रहा है कि देश में युद्ध होने वाला है।

हालांकि किसान हमेशा शांति के पुजारी रहे हैं। हमने हमेशा शांतिपूर्ण ढंग से धरना करने में विश्वास रखा है।

मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार के पास 2 महीने का समय है। सरकार भी अपने फैसले कर ले। हम भी कर रहे हैं।

लेकिन जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती। किसान दिल्ली बॉर्डर से वापस नहीं जाएंगे। सरकार को हमसे बातचीत करनी होगी।

इससे पहले किसानों द्वारा संसद का घेराव करने की बात भी कही गई थी। राकेश टिकैत का कहना है कि 22 जुलाई को 200 लोग संसद का घेराव करेंगे यह तब तक चलेगा। जब तक मानसून सत्र चलने वाला है।

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