Tanya Yadav

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बनारस दौरा खूब चर्चा में है। मीडिया में उनके द्वारा की गई तमाम घोषणाओं की कवरेज की जा रही है। लेकिन उनका ये दौरा एक और कारण से खबरों में है।

प्रधानमंत्री ने कोरोना के तमाम खतरों के बावजूद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में लगभग 6,000 लोगों के बीच जाकर अपना भाषण दिया है, जिसके लिए उनकी भर्त्सना हो रही है।

पत्रकार दिलीप मंडल ने प्रधानमंत्री की निंदा करते हुए कहा, “बनारस में प्रधानमंत्री ने यूनिवर्सिटी के अंदर 6,000 लोगों का मजमा जुटाया। जबकि ये काम वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से हो सकता था।

लेकिन यूनिवर्सिटी और कॉलेज में 40 और 50 स्टूडेंट्स की क्लास नहीं लग सकती, क्योंकि कोरोना फैल जाएगा? ऐसे चल रहा है देश।

पूरी एक पीढ़ी बर्बाद होगी। ग्रेजुएट बिना क्लास में गए पोस्ट ग्रेजुएट बनेंगे। इस बीच मॉल, सिनेमाघर, मॉर्केट सब चलेगा। कुंभ होगा। पढ़ाई ऑनलाइन और चुनावी रैली ऑफ़लाइन। ये है नीति।”

पत्रकार उत्कर्ष सिंह ने भी कुछ ऐसा ही सवाल उठाते हुए कहा, “उद्घाटन तो ऑनलाइन भी हो सकता था। हजारों की भीड़, जलसा और इतना तामझाम करने की जरूरत नहीं थी। दूसरों को सीख देने से पहले खुद उसका पालन करना चाहिए।”

वैसे तो कुछ दिनों के अंतराल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ऑनलाइन आकर जनता को अलग-अलग विषयों पर संबोधित करते रहते हैं। वो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए भी बड़ी-बड़ी घोषणाएं करते रहे हैं।

ऐसे में जब कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका बनी हुई है, तब इतने बड़े पैमाने पर लोगों को इकठ्ठा करना सवाल खड़े करता है।

एक तरफ़ प्रधानमंत्री मोदी यूपी सरकार की कोरोना से निपटने पर तारीफ़ कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ़ इतना बड़ा आयोजन करके यूपी की जनता को खतरे में डाल रहे हैं।

उनके इस कदम की आलोचना की जा रही है और माना जा रहा है कि 2022 के चुनाव के मद्देनजर उन्होंने ये पब्लिसिटी स्टंट किया है।

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