देश के प्रधानमंत्री इन दिनों बांग्लादेश के दौरे पर हैं। इस पर शिवसेना नेता संजय राउत का बयान आया है। संजय राउत ने साफ साफ कहा कि चूंकि पश्चिम बंगाल में चुनाव चल रहे हैं.

बांग्लादेश पश्चिम बंगाल के पड़ोस में है. राजनीतिक लाभ के लिए वो बांग्लादेश के दौर पर पहुंचे हुए हैं।

यूपी विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए संजय राउत ने कहा कि आपको याद होगा कि यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त वो नेपाल के दौरे पर चले गए थें क्योंकि नेपाल की सीमाएं उत्तर प्रदेश से आकर मिलती हैं। अब जब चुनाव पश्चिम बंगाल में हैं तो वो बांग्लादेश के दौरे पर चले गए हैं।

संजय राउत ने कहा कि बांग्लादेश हमारा पड़ोसी राष्ट्र है और मित्र राष्ट्र है. ऐसे में अगर भारत के प्रधानमंत्री वहां गए हुए हैं तो निश्चित तौर पर बांग्लादेश को फायदा होगा और थोड़ा बहुत फायदा भारतीय जनता पार्टी को पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में हो जाएगा।

वहीं किसानों के भारत बंद पर राउत ने कहा, हमारे प्रधानमंत्री बांग्लादेश के किसानों से मिलने जा रहे हैं लेकिन अपने देश मे 4 महीने से धरने पर बैठे किसानों से एक बार भी मिलने नहीं गए।

राजनीतिक हलकों में भी इस बात की चर्चा है कि पीएम मोदी के बांग्लादेश दौरे के कई मायने हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा जैसी चीजें अपनी जगह हैं लेकिन बंगाल के मतुआ समुदाय के वोटों को साधने की बातें भी सामने आ रही हैं।

पीएम मोदी अपने बांग्लादेश दौरे के दौरान मतुआ समुदाय के पवित्र स्थान ओरकांडी ठाकुरबाड़ी पहुंचेंगे. इस दौरे की वजह से ही मोदी की नियत पर प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय की अच्छी खासी और निर्णायक आबादी है और ये राज्य के उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले, नदिया जिले में प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं।

70 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर इनके वोटों से जीत हार तय होती है। पहले मतुआ समाज वामपंथ के साथ था. उसके बाद इनका झुकाव टीएमसी की ओर हुआ लेकिन कहा जाता है कि लोकसभा चुनाव 2019 में ये समुदाय भाजपा की ओर था।

भाजपा को पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 18 सीटें जीतने की वजह मतुआ समुदाय को ही बताया जाता है लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मतुआ समुदाय का इस विधानसभा चुनाव में भाजपा से मोहभंग हुआ है।

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