भारत में फैली कोरोना महामारी को कंट्रोल करने के लिए एक तरफ जहाँ स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वैक्सीन लगाने पर जोर दिया जा रहा है। दूसरी तरफ देश के योग गुरु बाबा रामदेव ने एलोपैथी को मूर्खतापूर्ण विज्ञान बताया है।

बाबा रामदेव ने कहा था कि कोरोना संक्रमण को ठीक किए जाने को लेकर इस्तेमाल की जा रही दवाइयां पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक, बाबा रामदेव ने दावा किया है कि एलोपैथिक दवाइयां खाने के कारण लाखों मरीजों की मौत हो चुकी है।

इस मामले में आईएमए द्वारा बाबा रामदेव को कानूनी नोटिस भी जारी किया गया है। इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भी उनके बयान पर आपत्ति जाहिर की है।

आईएमए द्वारा बाबा रामदेव को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि उन्हें लिखित रूप में एक स्पष्टीकरण जारी कर अपने बयान पर खेद जाहिर करना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ मानहानि और महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

इस मामले में शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि ये स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन और बाबा रामदेव के बीच की बात है।

बाबा रामदेव की जगह अगर किसी विपक्षी नेता या दूसरे नेता ने ऐसी बात कही होती। तो पूरी भारतीय जनता पार्टी ने सड़क पर उतरकर चक्का जाम करना शुरू कर दिया होता।

विपक्षी दलों का कहना है कि कोरोना से संबंधित इस तरह का बयान दिए जाने पर मोदी सरकार द्वारा कड़ी कार्रवाई की जा रही है। कई नेताओं पर मामले भी दर्ज किए गए हैं।

बाबा रामदेव ने तो अपने फायदे के वैक्सीन को ही गलत बता दिया है। ऐसे में उनपर क्या कार्रवाई होगी ?

आपको बता दें कि बाबा रामदेव ने एलोपैथी पर दिए गए अपने बयान को वापस ले लिया है। उनका कहना है कि अगर उनके बयान से किसी को भी चोट पहुंची है तो उस पर वह खेद जताते हैं।

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