कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में एक दलित युवक के साथ पुलिस ने बेहद निर्मम बर्ताव किया है। 22 वर्षीय इस दलित युवक का गुनाह बस इतना था कि पुलिस हिरासत में पानी मांगा था। उसके बाद उसे पेशाब पीने को मजबूर किया गया।

युवक ने कर्नाटक के डी.जी.पी. प्रवीण सूद से न्याय की मांग करते हुए मामले में शामिल सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

मामला गोनीबीडू थाने का है। युवक को कुछ ग्रामीणों के मौखिक शिकायत करने पर ही हिरासत में लिया गया था।

पुलिस हिरासत में जब युवक ने पुलिस कर्मियों से प्यास लगने पर पानी की मांग की तो पुलिस कर्मियों ने उसे पेशाब पीने को मजबूर कर दिया। युवक ने कहा है,

“मुझे पुलिस स्टेशन ले जाया गया और पीटा गया. मेरे हाथ और पैर बांध दिए गए. मैं प्यासा था और मैंने पानी मांगा. कहा कि मैं प्यास से मर जाऊंगा.

पुलिस ने एक आदमी को मुझ पर पेशाब करने के लिए कहा और कहा कि अगर मुझे बाहर निकलना है तो मुझे फर्श से पेशाब चाटना होगा.

मैंने ऐसा ही किया और तब मैं बाहर निकल पाया. पुलिसवालों ने मुझे पीटते हुए दलित समुदाय को गालियां भी दीं.”

मामले को संज्ञान में लेते हुए चिकमंगलूर के एस.पी. अक्षय हाके ने आरोपी सब इंस्पेक्टर पर जांच बैठायी है।

आरोपी ने जिसे पेशाब करने को कहा था वह खुद भी एक कैदी था और उसने ऐसा करने से मना भी किया। लेकिन डरा धमका कर आरोपी सब-इंस्पेक्टर ने उसे मजबूर कर दिया।

पीड़ित युवक ने अपनी शिकायत में ये भी कहा है कि उसके साथ इतना सबकुछ केवल एक मौखिक शिकायत के आधार पर किया गया है।

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