कोरोनावायरस की महामारी में गंगा में हजारों शव तैरते हुए मिले हैं। एक ओर जहां गंगा किनारे बसे हर शहर में लाशों के ढेर सामने आ रहे हैं। भाजपा सरकार की नाकामयाबी और अव्यवस्था किसी से छुपी नहीं है।

वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने इन लाशों को जल समाधि का हिस्सा बताया है।

एक टी.वी न्यूज़ चैनल में चल रही बहस में जब एंकर ने भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा से इन लाशों के बारे में सवाल किया तो उन्होंने इसे भारत की प्राचीन जल समाधि वाली परंपरा की बेतुकी बात की।

ये लाशें ज्यादातर ग्रामीणों ने दफनायी है। दाह संस्कार के पैसे ना होने के कारण लोगों ने अपने परिजनों के शवों को गंगा में बहाया और गंगा किनारे रेत में ही दफना दिया।

आमतौर पर ऐसे मामलों में प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि सभी शवों का दाह संस्कार किया जाए लेकिन अधिकारी से लेकर मंत्री तक सभी आंख मूंदे बैठे हैं।

उत्तर प्रदेश में उन्नाव, प्रयागराज, श्रंगवेरपुर, गाजीपुर, बलिया जैसे सारे जिलों में गंगा में लाशों के बहने की खबर सामने आयी है। जिलाधिकारियों का इस बारे में कोई ठोस जवाब भी सामने नहीं आया है। सरकार तक गंगा में बहने वाली लाशों के बारे में कुछ भी कहने से बच रही है।

गंगा में लाशों के बहने का पहला मामला 2 हफ्ते पहले उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा में बसे बक्सर जिले में सामने आया था। बक्सर में गंगा नदी में लगभग 40 शव बहते मिले थे। बिहार प्रशासन ने पल्ला झाड़ते हुए सीधे कहा कि ये लाशें उत्तर प्रदेश से बहकर आयी हैं।

इसके बाद तो गंगा में लाशों के बहने का सिलसिला रुका ही नहीं। संख्या 40 से बढ़कर इतनी ज्यादा हो गई कि गिनती करना मुश्किल होता जा रहा है।

एस.डी.आर.एफ की टीम लगातार लोगों से लाशों को इस तरह दफन करने से मना कर रही है, लेकिन गरीब ग्रामीणों के पास दूसरा विकल्प ही नहीं है।

बारिश का मौसम आते ही इन लाशों की संख्या बढ़ते जाएगी। गंगा तट के करीब रहने वाले लोगों ने लाशों से आने वाली बदबू की भी शिकायत की है। लेकिन अब तक किसी भी तरह का कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

वहीं नूपुर शर्मा के इस बयान पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर लिखा- “कोरोनावायरस की महामारी में गंगा में हजारों शव तैरते हुए मिले हैं। भाजपा की प्रवक्ता नूपुर शर्मा इसको जल समाधि की परंपरा बताती हैं! इनको शर्म से ही डूब मरना चाहिए।”

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