भाजपा द्वारा कोरोना टूलकिट पर उठाए गए मुद्दे पर अब सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विवाद शुरू हो गया है। टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने ट्विटर के दफ्तर पर छापेमारी भी की है।

सोशल मीडिया पर भाजपा आईटी सेल द्वारा ट्विटर को भारत में बैन किए जाने की मांग उठाई जा रही है।

दरअसल बीते हफ्ते ही ट्विटर ने कथित टूलकिट डॉक्यूमेंट से संबंधित भाजपा नेता संबित पात्रा द्वारा किए गए ट्वीट को मैनिपुलटेड मीडिया बताया था। जिसके बाद से ही ये विवाद शुरू हुआ है।

इस मामले में मीडिया से बातचीत के दौरान शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा है कि टूलकिट का मामला इस वक्त देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

भाजपा ने भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने विरोधियों के खिलाफ पहले कई बार किया है। लेकिन जब इस बार मामला उन पर ही उलट गया है। तो उन्होंने ट्विटर को बैन करने की मुहिम शुरू कर दी है।

भाजपा कभी किसी पर रेड करवा रही है तो कभी उस पर। ठीक है, यह सब चल रहा है और हम भी तमाशा देख रहे हैं।

इसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा में प्रवाह किए गए शवों पर भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना नेता संजय राउत ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर सवाल उठाए हैं।

उन्होंने कहा है कि इस मुद्दे पर वह अपनी राय क्यों नहीं देते? मोहन भागवत को कई मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए। लेकिन बीते कई महीनों से आरएसएस प्रमुख चुप्पी साधे हुए हैं।

गंगा में प्रवाह किए गए हजारों शवों का अंतिम संस्कार नहीं किया गया है। यह हिंदुत्व से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा है। इस पर हिंदूवादी नेताओं को अपना मत स्पष्ट करना चाहिए।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में बहाए जाने के साथ-साथ गंगा के किनारों पर भी हजारों शव दफनाए गए हैं। जिनको छिपाने के लिए अब सरकार ने प्रशासन को काम पर लगा दिया है।

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