वर्ष 2013 से ही भारतीय मीडिया का जो चरित्र देखने को मिल रहा है, उससे देश की बहुसंख्यक जनता ने न्यूज चैनलों से किनारा कर लिया है।

अब अच्छे घरों में न्यूज चैनल नहीं देखे जाते हैं क्योंकि उनमें भडकाउ और फर्जी खबरों को ज्यादा तवज्जो दी जाती है।

डिबेट्स के दौरान गाली गलौज, सफेद झूठ, उटपटांग शब्दों का प्रयोग आम बात हो गई है। और तो और अब खबरें कम, न्यूज चैनल्स मोदी चालीसा गाते हुए ज्यादा नजर आ जाते हैं।

किसान नेता राकेश टिकैत ने तो खुल्लम खुल्ला कह दिया है कि अब बहुत हो गया। जी न्यूज और रिपब्लिक भारत जैसे इन दोनों चैनलों का इलाज बहुत जरुरी हो गया है और ये इलाज किसान करेंगे।

मालूम हो कि जी न्यूज और रिपब्लिक चैनल लगातार किसान आंदोलन को देश विरोधी आंदोलन बताने में जुटे हैं।

आंदोलन से जुड़ी खबरें चलाते हैं। चूंकि इस आंदोलन में सबसे ज्यादा सिख समुदाय के लोग पगड़ी बांधे और कृपाण के साथ नजर आते हैं, तो ये दोनों चैनल इस आंदोलन को सिखों को खालिस्तानी बताते रहते हैं।

जी न्यूज और रिपब्लिक भारत जैसे चैनलों ने तो मोदी, भाजपा और आरएसएस की चापलूसी में सारी हदें पार कर दी है। इन दोनों चैनलों ने एक तरह से मोदी को भगवान का भाई घोषित कर दिया है और इनकी नजरों में देश की हर समस्या के लिए पंडित नेहरु और कांग्रेस जिम्मेवार है।

यही नहीं केंद्र सरकार के विरोध में कोई भी आंदोलन होता है तो ये दोनों चैनल उसको या तो पाकिस्तान से जोड़ देते हैं या मुसलमानों के साथ।

यही नहीं ये दोनों चैनल किसी भी आंदोलन के पीछे गलत तरीके से फंडिंग की खबर सबसे पहले चलाना शुरु कर देते हैं। ये अलग बात है कि बाद में इन्हें थूक कर चाटना पड़ता है क्योंकि इनकी खबरें फर्जी होती हैं।

पिछले कई महीनों से चल रहे किसान आंदोलन को बदनाम करने में इन दोनों चैनलों में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।

किसान आंदोलन को धार देने के मकसद से राकेश टिकैत हिसार पहुंचे थें और किसानों के साथ बैठक और पदयात्रा कर रहे थे।

इस पर रिपब्लिक भारत सुबह से ही खबर चला रहा था कि राकेश टिकैत कोरोना फैलाने हिसार पहुंचे हैं। किसानों में इस तरह की खबरों को लेकर काफी आक्रोश था।

आर भारत के हिसार संवाददाता ने जब राकेश टिकैत से सवाल पूछा तो टिकैत ने दो टूक अंदाज में कहा कि दो चैनलों का भी इलाज होगा। आर भारत का और जी न्यूज का। अगला टारगेट तुम्हारा ही है। इन दो का इलाज कर लो, सबका इलाज हो जाएगा।

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