जिन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को मज़दूरों का दर्द कम करने के नाम पर चलाया गया, वो मज़दूरों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। श्रमिक ट्रेनों की हालत इतनी बदतर है कि वो दो दिन के सफर को नौ दिन में पूरा कर रही हैं। जिसके चलते मज़दूर भूख और प्यास से ट्रेन में ही दम तोड़ते नज़र आ रहे हैं।
दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक, श्रमिक ट्रेनों से सफर करने वाले प्रवासी मजदूरों में से सात मज़दूरों ने एक ही दिन में भूख और प्यास से दम तोड़ दिया। ये मजदूर ट्रेन पर इस उम्मीद से सवार हुए थे कि अब सही सलामत अपने घर पहुंच जाएंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। श्रमिक ट्रेनों को लेकर रेलवे की लापरवाही ने इनकी जान ले ली।
दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि श्रमिक ट्रेनें कई कई दिन लेट चल रही हैं। जिन ट्रेनों को दो दिन में अपने गंतव्य पर पहुंचना था, वो नौ दिनों में अपने गंतव्य पर पहुंच रही हैं। रिपोर्ट के मुतबिक़, 16 मई को गुजरात के सूरत से सीवान के लिए चली ट्रेन 25 मई को पहुंची।
जिस ट्रेन को गोरखपुर के रास्ते सीवान आना था, लेकिन छपरा होकर आई। लापरवाही की इंतेहा तो ये है कि सूरत से ही सीवान के लिए निकली दो ट्रेनें ओडिशा के राउरकेला और बेंगलुरु पहुंच गईं। वहीं जयपुर से पटना के लिए निकली श्रमिक स्पेशल ट्रेन पटना के बजाए गया पहुंच गई।
ट्रेन की इस बदइंतेज़ामी की वजह से एक ही दिन में सात मज़दूरों की भूख प्यास से मौत हुई है। जिन लोगों की मौत हुई है उनमें नौजवानों, बुजुर्गों के साथ मासूम भी हैं। राजकोट-भागलपुर श्रमिक स्पेशल ट्रेन में एक आठ महीने के बच्चे की मौत हो गई। बच्चे के शव को गया में उतारा गया।
परिवार मुंबई से सीतामढ़ी जा रहा था। आगरा में बच्चे का इलाज हुआ। कानपुर के पास उसकी मौत हो गई। दंपती देवेश पंडित सीतामढ़ी के खजूरी सैदपुर थाना क्षेत्र के सोनपुर गांव का रहने वाले हैं। वहीं नौजवानों में 23 साल की अलवीना खातून ने ट्रेन में दम तोड़ दिया। वो अहमदाबाद से कटिहार अपने पति के साथ घर लौट रही थीं। उनके शव को मुजफ्फरपुर में उतारा गया।
इसके साथ ही ओबरा की रहने वाली एक महिला ने ट्रेन में अपने पति की गोद में आखरी सांस ली। वो श्रमिक स्पेशल ट्रेन से घर जा रही थीं। ट्रेन जब सासाराम पहुंची तो महिला ने पति से कहा कि उसे भूख लगी है, जिसके बाद पति ने खाने का इंतेजाम किया। महिला खाना खाने के बाद कांपने लगी और थोड़ी देर में ही पति की गोद में सर रख कर दम तोड़ दिया। इसी तरह चार अन्य लोगों की भूख प्यास से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में मौत हो गई।
अब इन मौतों पर आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- क्या केन्द्र की भाजपा सरकार सच में पागल हो गई है? श्रमिक ट्रेने 2 दिन के बजाय 9 दिन में पहुँच रही है भूख और प्यास से 7 लोगों की मौत हो गई ये मौत नही ग़रीबों की हत्त्या है।
मा.रेल मंत्री @PiyushGoyal जी कृपया जवाब दीजिये 2 दिन के बजाय 9 दिन में ट्रेन क्यों पहुँची? 7 लोगों की मौत का ज़िम्मेदार कौन है? https://t.co/kc7bTuvyj0
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) May 26, 2020