मजदूर सड़क और रेलवे की पटरियों के बाद अब ट्रेनों में भी दम तोड़ने लगे हैं। बावजूद इसके श्रम मंत्री, सड़क परिवहन मंत्री और रेल मंत्री सामने आने की बजाय कोप भवन में आराम फरमा रहे हैं। जिन मजदूरों ने कभी अपने खून-पसीने की मेहनत से इन्हीं सड़कों और ट्रेनों की पटरियों को बनाया होगा।
उन मजदूरों को इस मुश्किल समय में श्रम मंत्री ने उन्हें अकेला छोड़ दिया है। रेल मंत्री की ट्रेनें मतवाली होकर जहां जाना है वहां से कहीं और निकल जा रही हैं। ऐसा लग रहा है जैसे ट्रेनों का ईधन खत्म हो गया है क्योंकि जिन ट्रेनों को 2 दिनों में अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचना है वो 9 दिन में पहुंच रही हैं।
देशभर में प्रवासी मजदूरों को उनके गृह जिलों तक छोड़ने वाली जो श्रमिक ट्रेनें चल रही हैं उनमें अबतक 40 ट्रेनें कहीं और पहुंच गई हैं। इन श्रमिक ट्रेनों के इतना लेट होने के कारण अबतक 7 मजदूरों की मौत हो गई। अब इन 7 मौतों का जिम्मेदार कौन होगा? रेल मंत्री पीयूष गोयल होंगे या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?
पूर्व सांसद और जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव ने इस मामले पर तंज भरे शब्दों में रेल मंत्री पीयूष गोयल पर जोरदार हमला किया है।। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि, “दो के बदले 9 दिन में ट्रेन पहुंच रही सूरत से सिवान। 70 साल में इस कामयाबी के लिए PM मोदी, रेल मंत्री गोयल को क्रांतिकारी सलाम भूख-प्यास से ट्रेन में जा रही है मज़दूरों की जान। फिर भी बेशर्मी से कहिए मेरा भारत महान!”
आगे लिखा- पीयूष गोयल पर हो हत्या का मुकदमा, रेलमंत्री पद से हो बर्खास्त, गुजरात से बिहार आने में ट्रेन को 9 दिन क्यों लगे? केंद्र और इन राज्यों में BJP की सरकार फिर इस 7 हत्या का कौन जिम्मेदार रेलमंत्री गैर BJP शासित राज्यों पर ठीकरा फोड़ते रहते हैं। यहां तो ट्रिपल इंजन के बाद भी 9दिन लगे!
पीयूष गोयल पर हो हत्या का मुकदमा
रेलमंत्री पद से हो बर्खास्तगुजरात से बिहार आने में ट्रेन को 9 दिन क्यों लगे?
केंद्र और इन राज्यों में BJP की सरकार
फिर इस 7 हत्या का कौन जिम्मेदाररेलमंत्री गैर BJP शासित राज्यों पर ठीकरा फोड़ते रहते हैं। यहां तो ट्रिपल इंजन के बाद भी 9दिन लगे!
— Sewak Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) May 26, 2020
दरअसल, गुजरात के सूरत से 17 मई को जिस ट्रेन को 2 दिन में चलकर बिहार के सिवान आना था, वो ट्रेन 8 दिन बाद 25 मई को सिवान पहुंची है। सूरत से ही 2 ट्रेनें सिवान के लिए निकलीं लेकिन वो ओड़िसा के राउरकेला और बैंगलोर पहुंच गईं।