भारत में अगर कोई केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करता है, पोस्टर लगाकर उनसे वैक्सीन की कमी पर सवाल करता है, तो उसे सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है।
लेकिन अब भारत की स्वदेशी वैक्सीन ‘कोवीशील्ड’ बनाने वाले सीरम इंस्टीट्यूट के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव ने ही सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पीटीआई एजेंसी के अनुसार, जाधव का आरोप है कि केंद्र सरकार ने सबके लिए टीकाकरण खोलने से पहले न तो स्टॉक का ध्यान रखा और न ही WHO की गाइडलाइंस का पालन किया। इसी वजह से देशभर में वैक्सीन की किल्लत हुई है।
इस बयान से दो चीज़ें साफ़ हो जाती हैं। पहला तो ये कि सरकार की वैक्सीन वित्तरण की नीति में वैक्सीन बनाने वालों को ही भरोसा नहीं है। दूसरा ये कि देश में वैक्सीन की कमी है।
जाधव ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत सरकार को WHO की गाइडलाइंस को ध्यान में रखकर ही वैक्सीनेशन प्रोग्राम में लोगों को प्राथमकिता देनी चाहिए थी।
शुरुआत में केवल 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन दिए जाने का फैसला लिया गया था। इसके लिए 60 करोड़ डोज़ की आव्यशकता थी।
हालाँकि, इसके विपरीत सरकार ने पहले ही 45+ उम्र के साथ-साथ 18 से ज़्यादा उम्र वालों के लिए भी वैक्सीनेशन खोल दिया। जाधव का दावा है कि सरकार जानती थी की वैक्सीन की कमी है।
उनके दावे को बल मिलता है भारत की नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइज़ेशन (NTAGI) के चीफ ऍन.के. अरोड़ा के बयान से। NTGAI वैक्सीन के रोलआउट पर सरकार को सलाह देनी वाली संस्था है।
अरोड़ा का कहना है कि सरकार को केवल 45 साल से ज़्यादा लोगों के टीकाकरण का सुझाव दिया गया था।
ऐसा इसलिए क्योंकि ज़्यादातर इसी आयु के लोगों की या तो मौत हो रही थी, या उन्हें अस्पतालों में भर्ती करवाया जा रहा था। अरोड़ा के अनुसार सरकार का 18+ के लोगों का टीकाकरण एक ‘राजनितिक फैसला’ है।
NTAGI, the government's advisory body on the rollout of #Covid-19 jabs, had only recommended vaccination for those older than 45, as this demographic accounts for the bulk of hospitalisation and deaths. Those less than 45 years of age were not in the “priority category”. pic.twitter.com/tuXCH6ywfw
— Teena Thacker (@Teensthack) May 21, 2021
भारत सरकार दुनियाभर में कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन भिजवा रही है, फिर चाहे खुदके ही देश में इसकी कमी क्यों ना हो जाए। इस सबके बावजूद भी उसकी खुदकी वैक्सीन विश्व स्वस्थ्य संगठन (WHO) की वैक्सीन लिस्ट ही में नहीं है।
इसपर प्रतिक्रिया देते हुए प्रोफेसर अशोक ने लिखा, “भारत वैक्सीन सुपरपावर हुआ करता था, लेकिन उसकी खुदकी वैक्सीन WHO की लिस्ट में नहीं है।”
India used to be the vaccine superpower, but its own vaccine is not on the WHO list. https://t.co/k5GVZPe7iM via @timesofindia
— Ashok Swain (@ashoswai) May 22, 2021
मोदी सरकार की टीकाकरण की नीति पर बड़े सवाल उठ रहे हैं। पहला तो उनके टीकाकरण वित्तरण की निति पर खुद उनकी सलाहकार बॉडी को भरोसा नहीं, वैक्सीन बनाने वाली कंपनी को भरोसा नहीं। दूसरा ये कि WHO की वैक्सीन लिस्ट में भी भारत की वैक्सीन को जगह नहीं मिली।