पिछले दिनों केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया. शिवसेना ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और भाजपा को आड़े हाथों लिया है.
शिवसेना ने कहा है कि भाजपा कह रही है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने क्या कभी अपने हाथ में हाॅकी उठाई थी जो उनके नाम पर खेल पुरस्कार दिया जाता है!
यह सवाल वाजिब है लेकिन यह भी बताया जाए कि अहमदाबाद में सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदल कर नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया है. नरेंद्र मोदी ने क्रिकेट में कोई कमाल किया है क्या?
शिवसेना ने कहा कि यही बात दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम पर भी लागू हो सकता है. लोग ये सवाल पूछ रहे हैं.
शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया है कि कंेद्र सरकार ने इस मुद्दे पर बदले की भावना के तहत राजनीतिक कार्रवाई करते हुए खेल पुरस्कार से राजीव गांधी का नाम हटा दिया है. यह विद्वेष की राजनीति है और कुछ नहीं.
शिवसेना ने कहा कि मेजर ध्यानचंद का सम्मान जरुरी है लेकिन यह सम्मान बिना राजीव गांधी के बलिदान का अपमान किए बगैर भी हो सकता था.
भारत अपनी वो परंपरा और संस्कृति खो चुका है. आज ध्यानचंद को भी यह महसूस होता होगा.
सामना में लिखा गया है कि आज जब पूरा देश टोक्या ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन से उत्साहित है और स्वर्णिम घड़ी का जश्न मना रहा है, ऐसे में केंद्र की सरकार ने ऐसा राजनीतिक खेल खेला है, जिसकी वजह से बहुत सारे लोगों का दिल दुखित हुआ है.
शिवसेना ने अपने संपादकीय के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर सीधा हमला बोला है.
सामना में लिखा गया है कि केंद्र सरकार ने नाम बदलने के मुद्दे पर यह दावा किया है कि यह फैसला जनभावना के तहत किया गया है.
सामना के अनुसार सरकारें बदले और विद्वेष की भावना से मान नहीं किया करती और यह भी एक जनभावना ही है. कंेद्र सरकार और भाजपा को इस जनभावना का भी ध्यान रखना चाहिए.
शिवसेना ने कहा कि राजनीति में मतभेद हो सकते हैं. लोकतंत्र में मतभेद की जगह भी है लेकिन यह याद रखना होगा कि इंदिरा गांधी की हत्या आतंकवादियों ने की.
राजीव गांधी की जान भी आतंकवादी हमले में गई. विचारों में मतभेद का मतलब यह नहीं होता कि आप देश के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों के बलिदान का मजाक बनाए जिन्होंने इस देश के विकास में बड़ा योगदान दिया है.