सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कुछ दिनों पहले ही कृषि कानूनों के विरोध में भूख हड़ताल करने का ऐलान किया था। लेकिन अब उन्होंने इसे रद्द करने का फैसला किया है। अन्ना के इस फैसले को लेकर शिवसेना ने अन्ना हज़ारे पर निशाना साधा है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के ज़रिए पूछा है कि अन्ना किसानों के साथ हैं या फिर सरकार के साथ।

‘अन्ना किसकी ओर’ शीर्षक से लिखी संपादकीय में कहा गया, ‘पहले ऐसा लग रहा था कि किसान आंदोलन के मुद्दे पर अन्ना हजारे एक स्टैंड लेने वाले हैं।

लेकिन, अचानक उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया, इसलिए हम तो वास्तव में नहीं जानते कि कृषि कानूनों पर उनका रुख क्या है।

संपादकीय में कहा गया, ‘आखिर कृषि कानूनों पर अन्ना हजार की क्या राय है? क्या अन्ना हजारे उन लोगों के समर्थन में हैं, जो दिल्ली की सीमाओं पर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। अन्ना हजारे किसकी तरफ हैं, कम से कम महाराष्ट्र को तो ये बात पता चले।’

संपादकीय में आगे कहा गया कि महाराष्ट्र के लोग जानना चाहते हैं कि क्या वाकई अन्ना किसानों से सहानुभूति रखते हैं। बुजुर्ग किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।

अन्ना को उनके साथ खड़ा होना चाहिए था। लेकिन यह बात समझ से परे है कि क्यों अपने गांव रालेगन सिद्धि में बैठकर वह बीजेपी के नेताओं के साथ गठबंधन कर रहे हैं।

शिवसेना ने अपनी संपादकीय में पूछा कि जो अन्ना कांग्रेस के शासनकाल में हर मुद्दे पर अनशन किया करते थे, वह अब बीजेपी के शासनकाल में तमाम बड़े मुद्दों पर ख़ामोश क्यों हैं। बीजेपी के ख़िलाफ़ आंदोलन न करने के पीछे आखिर अन्ना की क्या मजबूरी है।

बता दें कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कल अन्ना हजारे से मुलाकात की थी।

इस मुलाकात के बाद अन्ना ने अपने अनशन को टालने का एलान करते हुए कहा, ‘मैं लंबे समय से कई मुद्दों पर आंदोलन कर चुका हूं। शांतिपूर्वक प्रदर्शन करना कोई अपराध नहीं है। मैं तीन साल से किसानों के मुद्दे उठा रहा हूं’।

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