हैदराबाद पीड़िता के लिए देशभर के लोगों ने इंसाफ मांगा था, देशभर के पत्रकारों ने जमकर आंसू बहाया था और आरोपियों का एनकाउंटर करने वाली पुलिस को सम्मानित किया गया था। लेकिन गुजरात की 19 साल की दलित लड़की की ऐसी किस्मत कहाँ?
दरअसल ये दलित लड़की 31 दिसंबर 2019 को लापता हो जाती हैं, फिर कुछ दिनों बाद लाश एक पेड़ से लटकी मिलती है। न तो हैदराबाद पीड़िता की तरह दलित लड़की के केस पर मीडिया ध्यान देती है और न ही पुलिस मामले को सीरियसली लेती है।
दरअसल, दलित लड़की का शव अरावली जिले के मोडासा तालुका के एक गांव के पेड़ से लटका मिला है। पुलिस उसकी मौत को ‘एक्सीडेंटल केस’ का नाम दे रही है। ध्यान देने वाली बात ये भी है कि जब हैदराबाद पीड़िता के बलात्कार और हत्या का मामला सामने आया था तो पुलिस ने आरोपियों का कथित एनकाउंटर किया था। और पुलिस ने ये सब आरोप को कोर्ट में साबित होने से पहले ही कर दिया था। देश के मीडिया ने भी हैदराबाद पुलिस की ‘बहादुर इमेज’ गढ़ी थी।
गुजरात की दलित लड़की के मामले में मीडिया के कवरेज पर काफी संदेह उठ रहे हैं। लोगों का आरोप है कि पीड़िता के दलित समाज के होने की वजह से मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। आरोप है कि दलित लड़की के साथ गैंगरेप किया गया जिसके बाद उनका शव पेड़ से लटका दिया गया।
एक यूज़र मीडिया के रवैये पर तंज कसते हुए लिखते हैं, “मुख्यधारा की हिंदी और अंग्रेजी मीडिया को एक दलित महिला की हत्या और गैंगरेप के केस को नज़रअंदाज़ करने के लिए शर्म आनी चाहिए। केवल गुजराती चैनल ही इस खबर को कवर कर रहे हैं। #JusticeForKajal
क्या चैनल्स एक लड़की को देश की बेटी बोलने से पहले उसकी जाती देखते हैं?”
Shame on Hindi English mainstream media for ignoring Dalit girl murder and gang rape.. only Gujarati channels covering it #JusticeForKajal
Do channels see caste of girl before calling her daughter of the nation? pic.twitter.com/7HHP6QrCzv
— Ravi Ratan (@scribe_it) January 10, 2020
दरअसल, दलित लड़की का शव अरावली जिले के मोडासा तालुका के एक गांव के पेड़ से लटका मिला है। ध्यान देने वाली बात तो ये है कि पुलिस उसकी मौत को ‘एक्सीडेंटल केस’ का नाम दे रही है।
इस मामले में मीडिया के कवरेज पर भी काफी संदेह उठ रहे हैं। लोगों का आरोप है कि दलित लड़की एक दलित लड़की थी इसलिए इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।