मोदी सरकार के शासनकाल में देश की मीडिया और न्यायपालिका पर सवाल उठते रहे हैं। चंद न्यूज़ चैनलों के अलावा सभी न्यूज़ चैनलों पर मोदी सरकार के गुणगान किए जाते हैं।

दूसरी तरफ देश की न्यायपालिका भी कई बार सवालों के कटघरे में आ चुकी है। विपक्षी दलों द्वारा ये आरोप भी लगाए जा चुके है कि न्यायपालिका सरकार के हाथों की कठपुतली बन चुकी है।

इसी बीच खबर सामने आई है कि भारत के पूर्व सीजेआई शरद अरविंद बोबडे ने मंगलवार को नागपुर में आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के जन्म स्थल का दौरा किया।

इसके बाद उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और संगठन के पूर्व सहकार्यवाह भैयाजी जोशी के साथ मुलाकात की।

दरअसल नागपुर हिंदूवादी संगठन आरएसएस का गढ़ माना जाता है। यहीं पर आरएसएस का मुख्यालय भी मौजूद है।

इस मामले में सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हो रही है। कुछ लोग आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात के मुद्दे पर पूर्व सीजेआई बोबडे को घेर रहे हैं।

इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नाम पर बनाए गए एक पैरोडी ट्विटर अकाउंट से भी ट्वीट कर पूर्व सीजेआई बोबडे पर चुटकी ली गई है।

इस ट्विटर अकाउंट के जरिए ट्वीट कर लिखा गया है कि “गोगोई को तो इतने चक्कर नहीं काटने पड़े थे। राज्यसभा नहीं तो कहीं नगरपालिका में ही लगवा दो।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस रंजन गोगोई द्वारा अयोध्या के राम मंदिर और राफेल मामले में मोदी सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। जिसके कुछ वक्त बाद ही भाजपा द्वारा उन्हें राज्यसभा सीट की पेशकश की गई थी।

माना जा रहा है कि अब पूर्व सीजेआई बोबडे भी राजनीति में आने के मकसद से आरएसएस के साथ जुगलबंदी कर रहे हैं।

दरअसल विपक्षी दलों द्वारा कई बार ये बात कही जा चुकी है कि हिंदूवादी संगठन आरएसएस के इशारे पर ही केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सरकार काम कर रही है।

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