जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पहली बार किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल को वहां जाने की इजाज़त दी जा रही है। यूरोपियन यूनियन के 27 सांसद कश्मीर के हालात का जायज़ा लेने आज श्रीनगर पहुंच रहे हैं।
इससे पहले यूरोपीय सांसद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति से भी मिले। बता दें कि यूरोपीय संघ की 30 सदस्यीय इस टीम की ये अनौपचारिक यात्रा है और उन्होंने खुद इस कार्यक्रम को बनाया है।
आपको बता दें कि इससे पहले कई विपक्षी पार्टी के नेताओं को कश्मीर जाने की इजाज़त नहीं दी गयी और उन्हें श्रीनगर हवाई अड्डे से वापस लौटा दिया गया था। भारत सरकार द्वारा इस यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल को जम्मू-कश्मीर का दौरा करने की इजाजत देने पर, ख़ुद बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सरकार पर सवाल उठाया है।
बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘मुझे आश्चर्य हुआ कि विदेश मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर क्षेत्र का दौरा करने के लिए यूरोपीय संघ के सांसदों की यात्रा की व्यवस्था की है. इन लोगों की यह निजी यात्रा है. ये यूरोपियन संघ का आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं है. यह हमारी राष्ट्रीय नीति के खिलाफ है. मैं सरकार से इस यात्रा को रद्द करने का आग्रह करता हूँ’.
I am surprised that the MEA has arranged for European Union MPs, in their private capacity [Not EU's official delegation],to visit Kashmir area of J&K. This is a perversion of our national policy. I urge the Government cancel this visit because it is immoral.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) October 28, 2019
कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के रद्द किए तीन महीना होने को है। केंद्र सरकार की ओर से 5 अगस्त को लिया गया ये फैसला घाटी के लोगों के लिए झटके जैसा था। वहां के नेताओं को कैद कर लिया गया, लोगों को जबरन घर में रहने को कहा गया। फ़ोन, इंटरनेट सारे सूचना के माध्यमों को बंद कर दिया गया था।
इस दौरे को लेकर देश की विपक्ष के नेता भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। इन सांसदों को कश्मीर जाने की अनुमति ऐसे समय दी गई है जब कश्मीर के प्रमुख विपक्षी नेता बंद है। कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं।
वहीं पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती की ओर से ट्वीट करते हुए उनकी बेटी ने लिखा है, ‘उम्मीद करें कि उन्हें लोगों से, स्थानीय मीडिया से, डॉक्टरों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों से बात करने का भी मौक़ा मिलेगा. कश्मीर और बाक़ी दुनिया के बीच लोहे का जो परदा पड़ा है उसे उठाने की ज़रूरत है और जम्मू-कश्मीर को संकट में धकेलने के लिए भारत सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.’