तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने सोमवार को लोकसभा में पूर्व चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई पर तीखा हमला बोला।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व सीजेआई ने राम मंदिर का फैसला सरकार के दबाव में किया।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मोइत्रा ने पूर्व सीजेआई पर टिप्पणी करते हुआ कहा कि न्यायपालिका अब पवित्र नहीं रह गई है।
इसकी पवित्रता उसी दिन ख़त्म हो गई जब यौन उत्पीड़न के आरोपी तत्कालीन सीजेआई ने ख़ुद के केस की सुनवाई की और ख़ुद को क्लीन चिट दे दी।
इतना ही नहीं उन्होंने रिटायरमेंट के तीन महीने बाद ही राज्यसभा की सदस्यता ज़ेड प्लस सिक्योरिटी के साथ कबूल कर ली।
इस दौरान टीएमसी सांसद ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए न्यायपालिका और मीडिया से अपनी नाराज़गी भी जताई। उन्होंने सरकार पर अपनी बात कहने के लिए नफरत और कट्टरता का सहारा लेने का आरोप लगाया और कहा कि न्यायपालिका और मीडिया ने भी देश निराश किया।
उन्होंने कहा कि देश में इस समय अघोषित आपातकाल जैसे हालात हैं। सरकार अपने खिलाफ आवाज उठाने वालों को आतंकवादी बता देती है। भले ही वे छात्र, किसान या शाहीन बाग की बुज़ुर्ग महिलाएं हों।
उन्होंने यह भी पूछा कि नागरिकता संशोधन कानून के नियम बनाने में गृह मंत्रालय बार-बार समय सीमा क्यों बढ़ा रहा है।
मोइत्रा ने सरकार पर ‘कायरता को साहस के रूप में परिभाषित’ करने का आरोप लगाया और कहा कि कुछ लोग सत्ता की ताकत, कट्टरता, असत्य को साहस कहते हैं। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने दुष्प्रचार और गलत सूचना फैलाने को कुटीर उद्योग बना लिया है।
उन्होंने तीन विवादित कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए मोइत्रा ने कहा था कि सरकार कृषि कानून लाई जबकि विपक्ष और किसान संगठन इन्हें किसान विरोधी बता रहे थे।
उन्होंने कहा कि इन्हें बिना आम-सहमति और बिना समीक्षा किए लाया गया तथा बहुमत के बल पर लाया गया।
तृणमूल कांग्रेस सांसद ने कहा कि वह केंद्र में सत्तारूढ पार्टी से पूछना चाहती हैं कि क्या इस तरह से लोकतंत्र चलेगा, क्या एक पार्टी का शासन देश में चलेगा।