दिल्ली दंगों के मामले में कल कड़कड़डूमा कोर्ट ने पर्याप्त सबूत ना होने के चलते पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के भाई समेत तीन आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट में फिर सुनवाई हुई है।

दिल्ली हिंसा के मामले में आरोपी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र उमर खालिद के वकील ने कोर्ट में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट पर सवाल खड़े किए हैं।

उन्होंने कहा है कि दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद के खिलाफ जो चार्जशीट दायर की है। वो वेब सीरीज ”द फैमिली मैन” की स्क्रिप्ट की तरह है। उमर खालिद पर जो आरोप लगाए गए हैं। उसके कोई साक्ष्य नहीं है।

उमर खालिद के वकील ने पूछा है कि नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करना सांप्रदायिकता कैसे हो सकता है।

दिल्ली पुलिस द्वारा उमर खालिद के खिलाफ बड़े बड़े आरोप बिना तथ्यों के ही लगाए गए हैं। चार्जशीट में बढ़ा चढ़ाकर लगाए गए आरोप बिकाऊ मीडिया के रात 9 बजे के शो की स्क्रिप्ट जैसी ही है।

जो जांच अधिकारी की कल्पनाओं को जाहिर करती है। उमर खालिद सांप्रदायिक नहीं चार्जशीट दायर करने वाला अधिकारी सांप्रदायिक है।

इसके साथ ही उमर खालिद के वकील ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि चार्जशीट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ किए गए विरोध को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई थी।

अगर आप यह कहते हैं कि नागरिकता संशोधन कानून खराब है। तो इसका मतलब यह है कि आप इस देश और सेकुलरिज्म में यकीन करते हैं।

लेकिन दिल्ली पुलिस ने ही अपनी चार्जशीट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों को सांप्रदायिक रंग दिया है।

आपको बता दें कि दिल्ली दंगे के मामले में उमर खालिद के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) ऐक्ट यानी UAPA, आर्म्स एक्ट और प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टु पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 1984 के तहत चार्जशीट दाखिल की गई है।

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