फिल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा पर भले ही अभी देश में कोई बहुत बड़ी कार्यवाई न की गई हो मगर उनकी अंतरराष्ट्रीय जगत में अभी तक की सबसे बड़ी पहचान छीन ली गई है।

रणदीप हुड्डा यूनाइटेड नेशन के पर्यावरण संबंधी संगठन CMS के ब्रांड एम्बेसडर थे और अब उनसे ये पद छीन लिया गया।

साथ ही संगठन ने उनकी टिप्पणी को शर्मनाक बताया और स्पष्टीकरण दिया है कि 2012 में की गई रणदीप हुड्डा की इस टिप्पणी के बारे में वो पहले से अवगत नहीं थे।

गौरतलब है कि यूनाइटेड नेशन का पर्यावरण और जैव विविधता संबंधी संगठन CMS एकमात्र ऐसा संगठन था, जिसके ब्रैंड एम्बेसडर रणदीप हुड्डा थे। उससे निकाले जाने के बाद अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में उनकी आइकॉन इमेज खत्म मानी जा रही है।

जानें-क्या है मामला

3 दिन पहले सृष्टि रंजन नाम की एक टि्वटर यूजर ने 9 साल पुराना एक वीडियो क्लिप शेयर किया-जिसमें अभिनेता रणदीप हूडा अश्लील जोक सुना रहे थे।

उन्होंने बहुजन समाज की सबसे बड़ी नेत्री मायावती का नाम लेते हुए, उनपर ‘सेक्सिस्ट’ कमेंट करते हुए, बेहूदा जोक्स सुनाए। जिससे वहां पर मौजूद ऑडियंस तो मजे लेकर सुनती रही मगर अब सोशल मीडिया पर उनकी जमकर आलोचना हो रही है।

क्योंकि सोशल मीडिया ने सामाजिक न्याय और लैंगिक न्याय के विमर्शों का दायरा बढ़ा दिया है तो अब लोग ऐसी बेहूदा टिप्पणियों के पीछे की जातिवादी और पुरुषवादी मानसिकता को आसानी से समझ पा रहे हैं। और ऐसी ओछी हरकत के लिए इस अभिनेता के गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।

हजारों की संख्या में लोगों ने नाराजगी जताते हुए #ArresteRandeepHuda को ट्रेंड भी करवाया।

पत्रकार दिलीप मंडल, रोहिणी सिंह, अजीत अंजुम, समेत तमाम लोगों ने सिलसिलेवार तरीके से ट्वीट करते हुए इस अभिनेता के गिरफ्तारी की मांग की है।

इसी के साथ बहुजन समाज पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता सुधींद्र भदौरिया ने भी इसे शर्मनाक बताते हुए लिखा-

“इस प्रकार की मनुवादी मानसिकता पर क़ानून के ज़रिये लगाम लगनी चाहिए।कार्यवाही न करके जातिवादी दलित,शोषित, महिला विरोधी मानसिकता रखने वाले लोगों को प्रोत्साहन मिलता है।क़ानून के ज़रिये सरकार तत्काल कठोर कदम उठाए। #ArrestRandeephooda ”

गौरतलब है कि पिछले 2 हफ्ते में तमाम कलाकारों और प्रसिद्ध व्यक्तियों के ऐसे वीडियो और ट्वीट सामने आए हैं जिसमें वो वंचित वर्ग के नेताओं पर लगातार अश्लील और जातिवादी टिप्पणी कर रहे हैं, जिसमें सबसे ज्यादा दुर्भावना बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ दिखाई देती है।

इनमें से ज्यादातर टिप्पणियां उस समय की है जब दलितों पिछड़ों का पक्ष रखने वाले लोग सोशल मीडिया पर नाम मात्र के थे। अब जबकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स सामाजिक न्याय और लैंगिक न्याय के विमर्श का अड्डा बन चुके हैं तो तमाम जातिवादियों और पुरुषवादियों की असलियत सामने आ रही है। उनपर कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here