एक तरफ जहां इस देश में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के नारे लगते हैं वही रेप और हत्या जैसे संगीन आरोप में फांसी की सजा पा चुके तीन आरोपी सर्वोच्च न्यायालय से आसानी से बरी भी हो जाते हैं।

9 फरवरी 2012 के हुए इस क्रूर और दर्दनाक हादसे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने वाली एंटी रेप एक्टिविस्ट योगिता भयाना कहती हैं, “हमने सोचा भी नहीं था कि अदालत ऐसा फैसला करेगी। हम ज्यादा से ज्यादा ये सोच रहे थे कि हो सकता है, फांसी की सजा को कोर्ट उम्रकैद में बदल सकती है। हम ये मानते हैं कि ऐसे दरिंदों को फांसी ही होनी चाहिए। ये पता चला उन्हें बरी कर दिया गया है तो हमें विश्वास ही नहीं हुआ।

अनामिका (बदला हुआ नाम) की मां ने कहा- “सुप्रीम कोर्ट ने हमारे साथ अन्याय किया”

सुप्रीम के इस आश्चर्यजनक फैसले के बाद पीड़िता की मां ने कहा कि हम पहले से आर्थिक स्थिति और न जाने कितनी और मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। मेरी बेटी के साथ कितनी दरिंदगी की गई उसकी हत्या की गई। उसके बाद भी अदालत ने ऐसे दरिंदो को छोड़ दिया। हमें समझ में नही आ रहा की अब हम किसके पास जाएं।

घर का सहारा थी अनामिका

19 साल की अनामिका नौकरी कर घर का सहारा बन रही थी। पिता के रिटायरमेंट की उम्र हो चली। पिता को लगा कि बेटी कमा रही है, अब आराम करने के दिन आ रहे हैं। पर अभी घर की हालत सुधरे भी नहीं थे कि दरिंदे उसे नौकरी से लौटते समय उठा ले गए।

क्या थी 9 फरवरी 2102 की घटना

9 फरवरी 2012 की शाम अनामिका काम से घर लौट रही थी उसी समय राहुल, रवि और विनोद नाम के आरोपियों ने अगवा कर लिया था. 14 फरवरी को ‘अनामिका’ की लाश बहुत बुरी हालत में हरियाणा के रेवाड़ी के एक खेत में मिली थी.

गैंगरेप के अलावा ‘अनामिका’ को असहनीय यातनाएं दी गई थीं. उसे कार में मौजूद औजारों से बुरी तरह पीटा गया था. साथ ही शरीर को सिगरेट और गर्म लोहे से दागा दिया गया था. यही नहीं गैंगरेप के बाद ‘अनामिका’ के चेहरे और आंख में तेजाब डाला गया था.

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