यूपी के उन्नाव में भटपुरी गांव में सब्जी का ठेला लगाने वाले फैसल नामक एक नाबालिग लड़के को पुलिस ने बुरी तरह पीट-पीटकर मार डाला। उसकी छाती उसकी पीठ, गर्दन  उसके पैर जिस पर बूट से प्रहार किया गया।

जिसके कारण फैसल की मृत्यु हो गई। जिसके कारण आम जनता में आक्रोश दिख रहा है लोगों ने सब्ज़ी विक्रेता की मौत पर सड़क पर उतर कर बवाल खड़ा कर दिया हैं ।

जिसपर तमाम बड़े दिग्गज नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

इसी क्रम में इमरान प्रतापगढ़ी ने लिखा-“उन्नाव में पुलिस की पिटाई से मृत फैसल के परिजनों से मिलने पँहुची कॉंग्रेस ज़िलाध्यक्ष आरती वाजपेयी। आरोपी पुलिस वालों पर मुक़दमा दर्ज हुआ है लेकिन हम इस लड़ाई को इंसाफ़ मिलने तक लड़ते रहेंगे। कॉंग्रेस पार्टी मृतक के परिवार को 50 लाख के मुआवज़े की मॉंग करती है !”

पूर्व पत्रकार और वर्तमान RLD नेता प्रशांत कनौजिया ने लिखा- “उन्नाव पुलिस द्वारा 18 वर्षीय सब्ज़ी बेचने वाले फैसल को कोविड नियम उल्लंघन का आरोप में थाने लाकर इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गयी।

ये जंगलराज नहीं है क्या? यह एक सामान्य घटना नहीं बल्कि मुसलमानों के ख़िलाफ़ पुलिस बलों में यह नफ़रत कौन डाल रहा है?”

सपा नेता अनुराग भदौरिया ने लिखा- “उन्नाव में यूपी पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया एक सब्ज़ी बेच रहे युवक को पुलिस पिटती है थाने ले जाती फिर हॉस्पिटल ले जाती है जहां उसकी मौत हो जाती है पुलिस पर हत्या की FIR हो और पीड़ित परिवार की सरकार आर्थिक मदद करे।”

इसी मामले पर विनोद कापड़ी बोले- “पुलिस थाने में आते ही तबियत कैसे ख़राब हो गई? कैसे चंद घंटो में ही मौत हो गई?

ये हत्या है हत्या!! पुलिस हिरासत में हत्या। आरोपियों को बर्खास्त करके गिरफ़्तार क्यों नहीं किया गया? लॉकडाउन में सब्ज़ी बेचने की सजा मौत होती है क्या @unnaopolice ?

पूर्व IAS सूर्य प्रताप सिंह ने लिखा- “कोरोना से बच जाये तो पुलिस से मरवा दो। ये है, यूपी। #JusticeForFaisal

साथ ही साथ आपको बताते चलें कि फैसल का कसूर सिर्फ इतना था। कि वह बेचारा सब्जी बेच रहा था इस त्राहिमाम भरे समय में जहां हर तरफ बेबसी है लाचारी है निराशा है।

उस दौरान फैजल नामक 17 वर्षीय बालक जो अपने ही घर के बाहर सब्जी बेच रहा था। उसका कसूर सिर्फ़ इतना था कि वह भूख को मिटाने के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर रहा था।

इस बीच कोरोना का उल्लंघन करने का हवाला देते हुए उन्नाव पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया, न सिर्फ गिरफ्तार किया बल्कि उसे घसीटते हुए उसकी गर्दन, उसके गले वा उसकी पीठ, उसके पैरों पर बूट से प्रहार करते हुए थाने ले जाया गया। जहां पर फैजल की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।

उन्नाव पुलिस (ASP) का दावा है कि पेड़ के नीचे फैसल सब्जी बेच रहा था। जिससे उन्नाव पुलिस ने कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराने के तहत सब्जी के ठेले को बंद कराने की बात कही। जिसके बाद फैसल को पुलिस ने अपनी बाइक पर बिठाया। बाइक पर ही फैजल को तेजी से बुखार आया ।

जिसके बाद वह बैठने में असमर्थ दिखा तो उसे चिकित्सा मुहैया कराने के लिए अस्पताल भेजा गया जहां पर उसकी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।

सवाल यह उठता है कि फैसल को इतना क्यों पीटा गया कि उसको दिल का दौरा पड़ गया।

हालांकि पुलिस ने जो बयान दिया उसमें वह कहते हुए पाए गए कि उसकी गिरफ्तारी के बाद में फैसल की तबीयत बिगड़ी और उसको दिल का दौरा पड़ गया। जिसमें 2 सिपाही एक होमगार्ड गिरफ्तार भी हुए।

सवाल ये है कि जिस थाने में हत्या हुई वहां का थानेदार कहां था, चौकी इंचार्ज और अन्य दरोगा-सिपाही कहां थे? थानेदार पर केस क्यों नहीं दर्ज हुआ…पूरा थाना सस्पेंड क्यों नहीं किया गया?

हालांकि उन्नाव पुलिस डॉक्टर्स का हवाला देकर इस बात का दावा कर रही थी कि फैसल की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई है लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सनसनीखेज खुलासा कर दिया है पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फैजल की मृत्यु गर्दन ,पैर व पीठ पर पुलिस के द्वारा बूट से प्रहार करने के कारण हुई है तो यहां पर तमाम सारे सवाल उठते हैं कि उन्नाव पुलिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और कब तक ऐसे ही पुलिस आम जनता को गुमराह करती रहेगी।

और दूसरा सबसे बड़ा सवाल उठता है कि क्या उन्नाव पुलिस की मोहम्मद फैसल से कोई आपसी लड़ाई या मतभेद था जिसके कारण उसके ही घर के बाहर सब्जी की दुकान लगाने पर मोहम्मद फैसल को घसीटकर बुरी तरह पीट पीट कर थाने ले जाया गया जहां पर उसकी दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई।

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