आज वीरांगना फूलन देवी की शहीदी दिवस है। 25 जुलाई 2001 को जातिवादी शेर सिंह राणा ने धोखे से फूलन देवी को मार दिया था। शेर सिंह राणा ने फूलन देवी को तब मारा, जब वे हथियार डालकर सार्वजनिक जीवन में आ चुकी थीं। ये कौन सी बहादुरी है?

फूलन देवी… एक शूद्र (मल्लाह) जाति परिवार में जन्मी स्त्री जिसने एक बड़ी विद्रोही सेना बनाकर पूंजीवाद, सामंतवाद, ठाकुरशाही एवं पुरूष प्रधान को चूर- चूर कर वीरांगाना होने का गौरव भी हासिल किया। बीहड़ के रास्ते संसद तक का सफर किया।

आज पूरा देश फूलन देवी को याद कर रहा है। फूलन देवी को एक आदर्श नारी चरित्र कहा जा सकता है जिसने पढ़े-लिखे न होने के बावजूद मनुवादी संस्कृति को न केवल नकारा बल्कि इसे तार-तार कर स्त्री अस्मिता की अलग ही आधारशिला रखी।

फूलन देवी को याद करते हुए बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया है ”सामाजिक न्याय की योद्धा, शोषित, पीड़ित व ग़रीब महिलाओं के दिलों की महारानी वीरांगना फूलन देवी मल्लाह के शहीदी दिवस पर शत् शत् नमन्।”

तेजस्वी का ये ट्वीट सराहनीय है कि जातिवादी मीडिया से डरे बिना उन्होंने हाशिए पर पड़े समाज की अगुआ को सार्वजनिक रूप से सलामी दी, नमन किया और अपनी सामाजिक न्याय प्रिय राजनैतिक धारा का परिचय दिया।

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