किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ साफ शब्दों में भाजपा को समझा दिया है कि यूपी की राजधानी लखनऊ किसी के बाप की जागीर नहीं है. लखनऊ किसानों का है.
टिकैत ने कहा कि यदि किसानों की मांगों को सरकार नहीं मानती है कि यूपी विधानसभा चुनाव में किसान सरकार को सबक जरुर सिखाएगा.
मालूम हो कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले ग्रेटर नोएडा के जेवर में एक किसान महांचायत बुलाई थी. इसमंे मुख्य वक्ता के रुप में किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए.
इस महापंचायत में बड़ी संख्या में उपस्थित किसानों की मौजूदगी में राकेश टिकैत ने अपनी पिछली मांगों को दोहराते हुए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की.
ग्रेटर नोएडा के जेवर टोल प्लाजा के पास सिकंदराबाद जेवर अंडरपास के पास लगभग 5 हजार की संख्या में किसानों की महापंचायत में हुंकार लगाते हुए टिकैत ने कहा कि सरकार को किसानों की मांग माननी ही होगी. सरकार को तीनों कृषि बिलों को मानना ही होगा अन्यथा जनता सरकार को सबक सिखा कर मानेगी.
सरकार को चेतावनी देते हुए टिकैत ने कहा कि लखनऊ हमारा है. किसानों का है. यह किसी के बाप की जागीर नहीं है.
टिकैत ने कहा कि सरकार जब तक कृषि कानूनों का वापस नहीं लेती, हमारा आंदोलन समाप्त नहीं होगा. किसान धरने पर बैठे रहेंगे, उनकी घर वापसी नहीं होगी.
राकेश टिकैत के इस महापंचायत में किसानों की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर रखे थे. महापंचायत की भीड़ को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था.
राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की जमीन लेने पर उचित मुआवजा नहीं मिलता. सरकार को उचित मुआवजा देना ही होगा.
टिकैत ने 10 प्रतिशत भूखंड दिए जाने और आबादी की जमीन के निस्तारण की मांग दोहराई. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार को बड़ी कंपनियां चला रही हैं.
देश में फिलहाल भारतीय जनता पार्टी की नहीं बल्कि मोदी की सरकार है. अगर भारतीय जनता पार्टी की सरकार होती तो वह किसानों से बात करती, लेकिन यह तो मोदी की सरकार है. यहां पर किसानों से बात नहीं की जाती. जो सरकार कंपनियां चलाती हैं, वो किसानों से बात नहीं करती.
मालूम हो कि पिछले नौ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र सरकार के कृषि बिलों के खिलाफ किसान संगठनों का आंदोलन जारी है.
किसानों और सरकार के बीच अब तक समझौते की हर कोशिश बेनतीजा साबित हुई है. इसका समाधान कब और कैसे निकलेगा, अब यह सबकी समझ से बाहर है.