पश्चिम बंगाल में बीते दिनों आए यास चक्रवात के चलते हुए नुकसान की समीक्षा बैठक करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी के बीच एक नया विवाद शुरू हो गया है।

दरअसल पीएम मोदी द्वारा बुलाई गई इस समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय भी 30 मिनट देर से पहुंचे थे।

जिसके बाद केंद्र सरकार ने उन पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली वापिस बुलाया था। लेकिन ममता सरकार ने उन्हें रिलीव करने से इंकार कर दिया।

पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद अब वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सलाहकार बन गए हैं। लेकिन ममता बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच शुरू हुए इस विवाद में अलपन बंधोपाध्याय की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

बताया जाता है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सलाहकार बनने के कुछ ही घंटे बाद केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें ‘कारण बताओ’ नोटिस थमा दिया गया है।

जिसमें यह कहा गया है कि पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंधोपाध्याय को 72 घंटे का वक्त देते हुए केंद्र सरकार ने लिखित स्पष्टीकरण माँगा है कि उनपर आपदा प्रबंधन ऐक्ट 2005 की धारा 51 के तहत ऐक्शन क्यों न लिया जाए।

इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता यश मेघवाल ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि “अलपन बंदोपाध्याय को मीटिंग में 30 मिनट देरी से पहुँचने के लिए नोटिस। पूछा आपदा प्रबंधन ऐक्ट 2005 की धारा 51 के तहत एक्शन क्यों न लिया जाए?

इस प्रावधान के तहत 2 साल तक की कैद हो सकती है। ऑक्सीजन और कोरोना टीके भारतीयों तक देरी से पहुँचाने के लिए मोदी को कितने साल की जेल होगी?”

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से ही ममता बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच तनाव और गहरा होता जा रहा है।

किसी ना किसी मुद्दे पर भाजपा और टीएमसी के बीच खींचतान चली रहती है।

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