केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 8 मई, 2021 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कुछ ऐसे आंकड़े दिए जो विश्वास करने लायक बिल्कुल नहीं थे।

उन्होंने दावा किया कि, “पिछले 7 दिनों में 180 जिलों में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है। 18 जिलों में पिछले 14 दिनों में कोई भी मामला नहीं मिला है। 54 जिलों में पिछले 21 दिनों में कोई भी मामला सामने नहीं आया है।”

डॉ. हर्षवर्धन हमारे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हैं। उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वो अगर कोई भी आंकड़ा जनता के बीच रख रहे हैं तो उसका पूरा प्रमाण भी साथ हो।

लेकिन जब उन्होंने ऐसा कोई आंकड़ा सामने नहीं रखा तो पूर्व पत्रकार और वर्तमान में राष्ट्रीय लोक दल के नेता प्रशांत कनौजिया ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत अर्जी लगाकर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन द्वारा दिए गए आंकड़ों के समर्थन में साक्ष्य मांगे लेकिन जवाब में उन्हें सरकारी संस्थानों ने कुछ भी ठोस नहीं दिया।

इससे एक बात तो साफ है कि स्वास्थ्य मंत्री पर महामारी के दौरान होने वाली अव्यवस्था जितने भी आरोप लगाए जा रहे थे उन्होंने उन सवालों से बचने के लिए झूठे आंकड़े खुद ही गढ़ लिए। केंद्रीय मंत्री होकर उन्होंने महामारी के बीच जनता को झूठा दिलासा देने के लिए इतनी बड़ी लापरवाही की है।

RTI के जवाब में लिखा गया है कि, “ये आंकड़े Central Survillance Unit – Integrated Disease Survillance Program (CSU-IDSP) ने National Centre For Disease Control के अंतर्गत किया है।

ये संस्था स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन है। इस संस्था ने covid19.nhp.gov.in की वेबसाइट के रियलटाइम आंकड़ों के आधार पर अपनी रिपोर्ट बनायी है।

देश के सारे राज्यों और जिलों के प्रशासन के पास इस वेबसाइट का एक्सेस है जिससे वो अपने अपने राज्यों अथवा जिलों की जानकारी इस वेबसाइट पर अपलोड करते हैं।

जिलों के आंकड़े बदलते रहते हैं क्योंकि वो अलग अलग समय पर अपडेट करते हैं इसलिए कोई एक सूचि जारी करना संभव नहीं है।”

सवाल अब ये उठता है कि यदि इस वेबसाइट में मौजूद आंकड़े बदले रहते हैं तो स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने अपनी प्रेस वार्ता में इन बदलने वाले आंकड़ों का जिक्र ही क्यों किया।

निश्चित ही उनके पास उनकी विफलताओं से संबंधित जितने सवाल आ रहे थे उनसे बचने के लिए भ्रामक आंकड़ें प्रेसवार्ता में रखे।

एक ओर जहां सरकार सोशल मीडिया में फेक न्यूज फैलाने वालों पर लगाम लगाने के लिए नए मीडिया कानून लेकर आयी है वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस तरह के भ्रामक आंकड़े जारी किए हैं।

RTI से उनके झूठ का पर्दाफाश होने के बाद भी सरकार से डॉ. हर्षवर्धन के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवायी की उम्मीद नहीं की जा सकती।

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