केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीनों कृषि बिलों के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन एक बार फिर से रफ्तार पकड़ता हुआ दिखाई देने लगा है।
एक बार फिर से देश के अलग अलग हिस्सों से किसानों का जत्था दिल्ली बाॅर्डर की तरफ कूच करने लगा है।
इसी बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि पीछे हटना हमारी डिक्शनरी में नहीं है। हम पीछे हटने वाले नहीं है।
किसान आंदोलन की फौज से तुलना करते हुए टिकैत ने कहा कि “जिस तरह से फौज जब मोरचे पर डटी होती है तो वह गोली खाती है, ठीक उसी तरह से हम भी मोरचे पर हैं और लड़ रहे हैं।”
हम पीछे नहीं हटने वाले हैं । पीछे हटना हमारी डिक्शनरी में नहीं है । जिस तरह फौजें मोर्चे पर होती हैं तो गोली खाती हैं उसी तरह हम भी मोर्चे पर हैं और लड़ रहे हैं । #FarmersProtest
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) July 1, 2021
टिकैत ने कहा कि आंदोलन को कोई व्यक्ति विशेष या संगठन नहीं बल्कि आम जनता की भावनाएं आगे बढ़ा रही हैं. यह एक वैचारिक क्रांति है।
टिकैत ने कहा कि दुनिया के जिस भी हिस्से में वैचारिक क्रांति आई है, वहां पर उसने परिवर्तन किया है। विचार से बड़ा कोई हथियार नहीं होता है।
केंद्र सरकार की हठधर्मिता पर निशाना साधते हुए टिकैत ने कहा कि इस वक्त देश पर कुछ खास लोगों का कब्जा हो गया है। इन लोगों को न तो देश की जनता से कोई लेना देना है और न ही व्यापारी, किसान या मजदूर वर्ग से।
टिकैेत ने कहा कि हैरानी की बात है कि देश का किसान देश की राजधानी को घेर कर बैठा है और सरकार बात ही नहीं कर रही है।
सरकार को चुनौती देते हुए टिकैत ने कहा कि सरकार बात नहीं कर रही है तो न करे, किसान भी पीछे हटने वाले नहीं है।
मालूम हो कि बुधवार को किसान आंदोलन के मंच के पास ही किसानों और भाजपा समर्थकों के बीच जमकर झड़प हो गई थी। राकेश टिकैत का आरोप था कि भाजपा समर्थक जबरन मंच पर कब्जा करना चाहते थें, जिसका किसानों ने विरोध किया और गतिरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई।
टिकैत ने भाजपाईयों को धमकी देते हुए कहा था कि जो भी मंच पर कब्जा करने की कोशिश करेगा, उसका बक्कल उधेड़ दिया जाएगा।
भाजपाईयों को चेतावनी देते हुए टिकैत ने कहा था कि जिसे मेरी बात धमकी लगे, वो धमकी समझ ले लेकिन हमारे मंच पर आना है तो पार्टी से इस्तीफा दो और हमारे आंदोलन में शामिल हो जाओ।
वहीं अब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी किसानों को चेतावनी दी है और कहा है कि हमारे संयम की परीक्षा न ली जाए। हम सिर्फ संयम इसलिए बरत रहे हैं कि किसान शब्द की पवित्रता बनीं रहे।
अब जिस तरह के बयान सरकार और किसानों के बीच से आ रहे हैं, लगता है कि ये आंदोलन अब संघर्ष में तब्दील हो जाएगा।