संसद में पक्ष और विपक्ष के बीच मची खींचतान के बीच कांग्रेस नेता एवं राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने बड़ा खुलासा कर दिया है.

सदन में जैसे ही किसान शब्द आता है, वैसे ही स्पीकर बंद हो जाते हैं ताकी किसानों के मुद्दे सदन में उठ ही न पाएं.

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी एक वीडियो ट्वीटर पर पोस्ट करते हुए दिखाया है कि कैसे वो राज्यसभा में अपनी बात रख रहे हैं और जैसे ही उनके मुंह से किसान शब्द निकलता है, स्पीकर बंद हो जाता है.

दीपेंद्र जब जब किसानों की बात करते हैं, माइक तब तब ऑफ कर दिया जाता है और स्पीकर बंद हो जाता है. दरअसल ये स्पीकर बंद होता नहीं, करा दिया जाता है.

दीपेंद्र सिंह हुड्डा कहते हैं कि किसान शब्द आते ही सदन के माइक बंद हो जो हैं. जैसे ही केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा की बात सामने आती है, सदन की कार्यवाही ऑफ एयर कर दी जाती है. वो किसान जो इस कृषि बिल का विरोध करते करते शहीद हो गए, उनका नाम तक लेने पर ये सरकार नाराज हो जाती है.

दीपेंद्र ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश कहा जाता है. ये हाल है कृषि प्रधान देश की संसद का. पर हम न डरेंगे, न झुकेंगे, सदन में किसानों की बात होकर रहेगी.

दीपेंद्र हुड्डा ने जिस तल्ख अंदाज में यह ट्वीट किया है, उससे तो लगता है कि सरकार चाहे जितनी हठधर्मिता दिखाए लेकिन कृषि बिलों के मुद्दे पर विपक्षी भी सरकार के सामने हथियार डालने को तैयार नहीं है.

संसद इस सत्र में जब तक चलेगी और आगे भी जो सत्र आएंगे, उसमें किसानों के मुद्दे पर संग्राम होना तय है.

राज्यसभा सांसद हुड्डा ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है. यहां की संसद में किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने से हमें कोई नहीं रोक सकता. हम हर हाल में किसानों की बात करके रहेंगे.

मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि बिलों के खिलाफ जहां दिल्ली के अलग अलग सीमावर्ती इलाकों में विरोध प्रदर्शन पिछले 08 महीने से जारी है तो वहीं संसद के दोनों सदनों में भी कृषि बिलों के विरोध में विपक्षी दलों का विरोध जारी है.

केंद्र की सरकार जहां इस बिल को वापस लेने के मूड में नजर नहीं आ रही तो वहीं किसान भी किसी भी हाल में पीछे हटने को तैयार नजर नहीं आ रहे हैं.

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