दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल तमाम किसान नेताओं ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कुछ ऐसा ऐलान कर दिया है जिससे मोदी सरकार की नींद उड़ गई है।

पिछले डेढ़ महीने दिल्ली बॉर्डर पर जुटे किसानों को हल्के में ले रही सरकार को अब इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। क्योंकि आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों ने 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस को पैरलल परेड की घोषणा कर दी है।

किसानों ने कहा है कि 26 जनवरी को जब राजपथ पर परेड होता रहेगा तब हम किसान दिल्ली की ओर पैरलल परेड करेंगे। हमारे इस परेड में लाखों ट्रैक्टर भी शामिल होंगे।

इसके साथ ही किसानों ने आह्वान किया है कि देश भर के नागरिक और किसान दिल्ली में एकजुट होकर 26 जनवरी को सरकार को अपनी ताकत दिखा दें।

किसानों का यह आह्वान इसलिए मायने रखता है क्योंकि दिल्ली बॉर्डर पर लाखों की संख्या में अभी भी जुटे हुए हैं और अगर उनकी इस अपील का देशव्यापी असर हो गया तो संभव है कि करोड़ों लोगों की भीड़ दिल्ली बॉर्डर पर जमा हो जाएगी, जो गणतंत्र दिवस का अपना अलग ही केंद्र बना देगी।

संभव है कि इतने बड़े जन आंदोलन के सामने सरकार द्वारा आयोजित गणतंत्र दिवस प्रोग्राम चर्चा से बाहर ना हो जाए और देश दुनिया में इस विरोध प्रदर्शन पर हंगामा मच जाए।

अगर ऐसा हुआ तो मोदी सरकार ठीक उसी अवस्था में चली जाएगी जहां यूपीए सरकार 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में चली गई थी यानी पूरे देश के सामने हुए छवि के नुकसान की भरपाई करना असंभव हो जाएगा।

और इसका असर न सिर्फ आगामी विधानसभा चुनाव में पड़ेगा बल्कि 2024 में बीजेपी का वही हाल हो सकता है जो 2014 में कांग्रेस का हुआ था।

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