बीते साल मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का विरोध निरंतर चल रहा है। दिल्ली और यूपी की सीमाओं पर किसान प्रदर्शनकारी मोदी सरकार के खिलाफ बीते 9 महीनों से मोर्चा खोले हुए हैं।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत कई बार बयान दे चुके हैं कि जब तक सरकार किसान विरोधी और दमनकारी कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती और एमएसपी पर कानून नहीं बनाती।
तब तक सीमाओं पर किसान प्रदर्शनकारी डटे रहेंगे। भले ही उन्हें साल 2024 तक विरोध क्यों ना करना पड़े।
संसद के दोनों सदनों में हाल ही में मानसून सत्र को समाप्त किया गया है। इस बार सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफी गतिरोध देखने को मिला।
विपक्षी दलों द्वारा सदन में किसानों के मुद्दों, बढ़ रही महंगाई और बेरोजगारी के साथ-साथ पेगासस जासूसी मामले में चर्चा ना किए जाने पर सरकार को घेरा गया।
इसके साथ कांग्रेस ने आरोप लगाए हैं कि सदन में मोदी सरकार ने बिना चर्चा किए कई विधेयकों को पास कर दिया है।
अब इस कड़ी में देश के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने बयान दिया है कि संसद में गुणवत्तापूर्ण बहस की कमी है।
उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर संसद की कार्रवाई पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कानून पास करते वक्त संसद में उचित बहस नहीं होती।
इस वजह से ऐसे कई कानून पास किए जा चुके हैं। जिनमें बहुत सारी कमियां थी। संसद में कानूनों पर बहस ना होने के कारण से भी कोर्ट में मामले बढ़ते हैं।
इस मामले में किसान नेता राकेश टिकैत ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा- “चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमना ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि संसद में गुणवत्तापूर्ण बहस की कमी है।
ऐसे में जो कानून पास होते हैं। उनके पीछे की मंशा का पता लगाना मुश्किल होता है। अब तो सरकार को शर्म आ जानी चाहिए तीनों काले कानून को रद्द करे और एमएसपी की गारंटी दे।”
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमना ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि संसद में गुणवत्तापूर्ण बहस की कमी है। ऐसे में जो कानून पास होते हैं उनके पीछे की मंशा का पता लगाना मुश्किल होता है।अब तो सरकार को शर्म आ जानी चाहिए तीनों काले कानून को रद्द करे और एमएसपी की गारंटी दे।#apmc
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) August 17, 2021
गौरतलब है कि बीते साल भी मोदी सरकार ने विपक्षी दलों के विरोध के बीच बिना चर्चा किए ही कृषि कानूनों को दोनों सदनों में मंजूरी दे दी थी।