केंद्रीय सूचना आयोग ने बैंकों के साथ कर्ज लेकर घोटाला करने वालों की लिस्ट ना जारी करने पर RBI के मुखिया को कारण बताओ नोटिस भेजा है.

सरकार, वित्त मंत्रालय और RBI ने अब तक उन घोटालेबाजों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं जिन्होंने देश के बैंकों से लिया कर्ज अभी तक नहीं लौटाया है.

इन सूची में कई नाम ऐसे भी हैं जो अब देश छोड़कर भाग चुकें हैं. इस लिस्ट में बैंकों से 50 करोड़ रुपये का कर्ज लेने और उसे ना चुकाने वाले हर घोटालेबाज का नाम है.

पहले भी तत्कालीन सूचना आयोग प्रमुख शैलेश गांधी इस सूची को सार्वजनिक करने के लिए कह चुके हैं. लेकिन अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और आरबीआई इस सूची को देश की जनता से छुपाए बैठे है.

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गौरतलब है कि घोटालेबाजों की ये सूची पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन द्वारा संसद की एस्टीमेट कमेटी को पहले ही भेजी जा चुकी है. इस कमेटी के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी हैं.

सूचना आयोग का ये आदेश तब आया है जब विजय माल्या, मेहुल चौकसी और नीरव मोदी जैसे लोग बैंकों का पैसा लेकर विदेश भाग चुके हैं. और बैंक इन्हीं घोटालों की वजह से एक बड़े संकट के दौर से गुजर रहें हैं.

साथ ही हाल ही में एक आरटीआई के जवाब में RBI ने सूचना के अधिकार के तहत जो सूचना दी उस पर सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने आरबीआई गवर्नर पर तंज कसते हुए कहा कि 20 सितंबर को केंद्रीय सतर्कता आयोग के एक कार्यक्रम में बोलते हुए उर्जित पटेल ने कहा था कि सतर्कता आयोग के दिशानिर्देशों का मकसद सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, ईमानदारी और शुचिता की संस्कृति को बढ़ावा देना है.

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तब सूचना आयुक्त श्रीधर अचार्युलु ने पूछा है कि आयोग का मानना है कि रिज़र्व बैंक के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर जो बात कहते हैं और जो उनकी वेबसाइट पर सूचना के अधिकार की जो नीति है, दोनों में कोई समानता नहीं है.

केंद्रीय सूचना आयोग ने अब घोटालेबाजो की लिस्ट जारी करने पर जो रूख अख्तियार किया है उससे यही लगता है कि जल्द ही RBI घोटालेबाजो की लिस्ट को लेकर बड़ा खुलासा कर सकती है.

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