संशोधनित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ देशभर में हुए प्रदर्शन के दौरान कई हिंसात्मक घटनाएं हुईं। इन घटनाओं में उत्तर प्रदेश से लेकर असम, त्रिपुरा, कर्नाटक और बिहार में कई प्रदर्शनकारी मारे गए। कुछ पुलिस की गोलियों से मारे गए तो कुछ की जान नागरिकता कानून का समर्थन करने वाली भीड़ ने ले ली।
बिहार में जहां 18 वर्षीय आमिर हंज़ला को हिंदूवादी भीड़ ने नागरिकता कानून का विरोध करने की सज़ा देते हुए बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया, वहीं त्रिपुरा में 65 वर्षीय किसान मंत्रीलाल केयपेंग की भी भीड़ ने इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वह नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे।
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अंग्रेज़ी वेबसाइट स्क्रॉल डॉट इन के मुताबिक, 11 दिसंबर को जब नागरिकता संशोधन विधेयक को दोनों सदनों से मंज़ूरी मिली तो त्रिपुरा के स्थानीय लोगों ने इसके खिलाफ़ मोर्चा खोलते हुए प्रदर्शन शुरु कर दिया। प्रदर्शन के लिए स्थानीय लोग एक जगह पर इकट्ठा होने के लिए गाड़ियों से भर-भर कर आने लगे। लेकिन इस दौरान प्रदर्शनकारियों की कई गाड़ियों को नागरिकता कानून का समर्थन कर रहे लोगों द्वारा निशाना बनया गया।
निशाना बनाए जाने वाली एक ऐसी ही एक गाड़ी में मंत्रीलाल केयपेंग भी सवार थे। जिन्हें भीड़ ने गाड़ी से उतारकर इस कदर बेरहमी से पीटा की उनकी मौत हो गई। हालांकि पहले उनकी मौत के बारे में मीडिया ने कुछ और ही कहानी बताई थी। मीडिया के मुताबिक, केयपेंग की मौत गाड़ी से अचानक गिरने की वजह से हो गई थी।
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लेकिन तेलियामुरा पुलिस स्टेशन में उसी दिन दर्ज एक शिकायत मीडिया के दावों को खारिज करती है। शिकायत में कहा गया है कि, “जब तेलीमुरा के एक बड़े गाँव तुचिंद्रि के बाज़ार में गाड़ियां पहुँचीं, तो बंगाली स्थानीय उपद्रवियों के एक समूह ने लोहे की छड़, लाठी-डंडों और कई घातक हथियारों से गाड़ी पर सवार लोगों पर हमला कर दिया”।
इस दौरान उपद्रवियों ने वाहन को तोड़ा और केयपेंग की बेरहमी से पीटाई की। जिसके बाद केयपेंग को अगरतला के जीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई। केयपेंग के परिजनों ने भी बताया कि उनकी मौत भीड़ की पिटाई से हुई।