संशोधनित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ देशभर में हुए प्रदर्शन के दौरान कई हिंसात्मक घटनाएं हुईं। मीडिया और सत्तापक्ष ने इस हिंसा के लिए सीधे तौर पर प्रदर्शनकारियों को ही ज़िम्मेदार ठहराया। लेकिन सच ये है कि इस हिंसा में सबसे ज़्यादा नुकसान भी CAA का विरोध करने वालों का हुआ।
उत्तर प्रदेश से लेकर असम, कर्नाटक और बिहार में कई प्रदर्शनकारी मारे गए। कुछ पुलिस की गोलियों से मारे गए तो कुछ की जान हिंदूवादी संगठनों ने ले ली। बिहार के फुलवारी शरीफ में नागरिकता कानून का विरोध करने वाले आमिर हंज़ला की हत्या के आरोप में हिन्दूवादी संगठनों से जुड़े लोगों समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
आमिर की बीती 21 दिसंबर को नागरिकता कानून के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की ओर से बुलाए गए बंद के दौरान हत्या कर दी गई थी। हत्या के 10 दिन बाद 31 दिसंबर को उसका शव बरामद किया गया था। उसका शव जब बरामद किया गया तो क्षत विक्षत हालत में मिला।
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द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, फुलवारी शरीफ पुलिस स्टेशन के इंचार्ज रफीकुर रहमान ने बताया कि, “हमारी जांच में पता चला है कि जब CAA का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने तितर-बितर किया तो पीड़ित आमिर भी प्रदर्शन छोड़कर भाग गया, लेकिन कुछ लड़कों ने उसे संगत गली में पकड़ लिया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, आमिर की हत्या ईंटों और नुकीली चीजों से वार कर की गई। आमिर के सिर में चोट के निशान मिले हैं, वहीं उसके शरीर पर भी कटे के निशान पाए गए हैं। उसके पेट में भी काफी रक्त इकट्ठा पाया गया है, जिससे पता चलता है कि उसे अंदरुनी ब्लीडिंग हुई थी।”
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आमिर की इस बेरहमी से की गई हत्या पर उनका पूरा परिवार सदमे में हैं। आमिर के पिता सुहैल अहमद ने रोते हुए कहा, “उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज का भी सम्मान नहीं किया, मेरा बेटा तिरंगे के साथ भाग रहा था, फिर भी उन्होंने उसे मार डाला”।
उन्होंने कहा कि, “किस तरह के लोग तिरंगा पकड़े हुए एक लड़के को मारेंगे? आप उस दिन के विरोध की तस्वीर और वीडियो देख सकते हैं। वह गर्व के साथ राष्ट्रीय ध्वज लहरा रहा था। हर कोई जानता है कि वह आरएसएस और बजरंग दल के लोगों द्वारा मारा गया, जो उस इलाके में रहते हैं”। सुहैल ने नम आंखों से पूछा कि, “मेरे बेटे की क्या गलती थी? क्या तिरंगा पकड़ना उसकी ग़लती थी।”