यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की सकुशल वापसी की दुआएं पूरा देश कर रहा है और ऐसी मुश्किल घड़ी में भारत सरकार के मंत्री बेशर्मी पर उतर आए हैं.

पीएम मोदी के प्रिय केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने इस मुश्किल हालात में एक ऐसा घृणित बयान दिया है, जिसे सुनकर आप व्यथित हो जाएंगे.

आप सुनकर हैरान रह जाएंगे कि कैसे लोग हमारे देश में सरकार चला रहे हैं !

केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने यूक्रेन पढ़ने गए छात्रों का मजाक बनाते हुए कहा है कि पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले 90 प्रतिशत वैसे मेडिकल छात्र होते हैं जो भारत में नीट एग्जाम क्लियर नहीं कर पाते हैं.

वरिष्ठ पत्रकार रोहिणी सिंह ने केंद्रीय मंत्री के इस बयान पर उन्हें आड़े हाथों लिया है और कहा है कि इसलिए उन्हें बचाकर सुरक्षित भारत नहीं लाया जाना चाहिए !

जिन लोगों पर देश के बच्चों के हिफाजत की जिम्मेवारी है. जिस समय में देश के बच्चे कठिन हालातों का सामना कर रहे हैं, वैसे दौर में एक केंद्रीय मंत्री का इस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान उनके जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है.

दरअसल भारत की राष्ट्रीय राजनीति में नरेंद्र मोदी युग के प्रवेश के साथ एक माहौल बना दिया गया है कि सरकार की हर नाकामी के लिए लोगों को ही जिम्मेदार ठहरा दो.

किसान आंदोलन हुआ तो किसानों को खालिस्तानी बना दो. मुसलमान आंदोलन करें तो उन्हें पाकिस्तानी और देशद्रोही बता दो. दलित करें तो उन्हें नक्सली करार दे दें.

इस बार तो हद हो गई. अब छात्रां ने मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई तो छात्रों को ही गलत करार दिया जा रहा है.

जबकि बता दें कि ये वही भारतीय छात्र हैं जो पीएम नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरों के टाइम लाइन में खड़े होकर जिंदाबाद जिंदाबाद करते हैं लेकिन जब आज उनकी जान पर आफत आई तो वही लोग जिनके लिए ये पढ़ाई लिखाई छोड़कर जिंदाबाद करते हैं,

उन्होंने यूपी चुनाव प्रचार करना ज्यादा जरुरी समझा बजाय कि उनकी सकुशल स्वदेश वापसी की कोशिशें करतें. उन्होंने अपनी लापरवाही को गोदी मीडिया के जरिए कामयाबी में बदलने की घृणित कोशिशें की.

सच पूछा जाए तो नरेंद्र मोदी देश के छात्रों को विदेशी धरती पर पिटवाने पहले प्रधानमंत्री बन चुके हैं.

इसके बाद इन छात्रों से अपनी गलतियों के लिए माफी मांगने की बजाय सत्ता में बैठे लोग छात्रों की योग्यता पर ही सवाल उठा रहे हैं.

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