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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। रंजन गोगोई पिछले साल 17 नवंबर को रिटायर हुए थे।

राज्यसभा के लिए रंजन गोगोई का नाम मनोनीत किए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि गोगोई को ये इनाम बीजेपी के हक में कई महत्वपूर्ण फ़ैसले सुनाने के लिए मिला है।

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अब आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने सोशल मीडिया पर लिखा- मुझे लगता था भारत के सबसे बड़े न्यायालय का चीफ जस्टिस होना बहुत बड़ी बात है, राज्य सभा तो विजय माल्या जैसे भी पहुंच जाते हैं।

इससे पहले AAP सांसद संजय सिंह ने पूर्व जस्टिस रंजन गोगोई को राज्य सभा के लिए मनोनीत होने पर कहा कि राफ़ेल मामले में फ़ैसला देकर अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराने वाले पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री रंजन गोगोई को राज्यसभा भेजकर भाजपा ने “सेवा का मेवा” दिया है।

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बता दे कि अक्टूबर 2018 को भारत के 46वें चीफ जस्टिस बने गोगोई का कार्यकाल लगभग 13 महीने का रहा था। वह 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे। इससे पहले वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में चीफ़ जस्टिस थे।

चीफ़ जस्टिस रहते हुए उनपर कई गंभीर आरोप भी लगे। चीफ़ जस्टिस की जिम्मेदारी संभालने के सात महीने के भीतर ही अप्रैल में जस्टिस गोगोई पर उनकी पूर्व जूनियर असिस्टेंट ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।

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