राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा भेजे जाने पर लगातार प्रतिक्रिया आ रही है। तमाम राजनीतिक दल के साथ-साथ अब सुप्रीम कोर्ट के जज भी जस्टिस गोगोई द्वारा दिए गए फैसलों पर सवाल उठा रहे है।
पूर्व जस्टिस मदन बी लोकुर के बाद अब पूर्व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। कुरियन जोसेफ ने NDTV को बताया कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के राज्यसभा के लिए नामांकन ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता में आम आदमी के विश्वास को हिलाकर रख दिया है।
गोगोई के राज्यसभा जाने पर पूर्व जस्टिस लोकुर बोले- क्या आखरी किला ‘न्यायपालिका’ भी ढह गया है?
जोसेफ ने आगे कहा- मुझे हैरानी है कि कैसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए साहस का प्रदर्शन करने वाले न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने न्यायपालिका के महान सिद्धांतों (स्वतंत्रता और निष्पक्षता) से समझौता कर लिया।
बता दे कि इससे पहले जस्टिस लोकुर ने कहा था कि रंजन गोगोई को राज्यसभा भेजना न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को फिर से परिभाषित करने के लिए मजबूर करेगा। उन्होंने सवाल करते हुए पूछा- क्या आखिरी किला भी ढह गया है?
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आपको बता दे कि जस्टिस लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ उन चार जज में से हैं जिन्होंने जस्टिस गोगोई के साथ मिलकर न्यायपालिका के मुद्दे को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
जिसमें इन सभी ने एक स्वर में कहा था कि भारत का लोकतंत्र खतरे में है उसको बचा लीजिए और आज गोगोई के राज्यसभा जाने पर उनके साथी जस्टिस लोकुर द्वारा यह सवाल बहुत सारे सवाल खड़े करता है।