योजना आयोग को बदलकर नीति आयोग करने वाली मोदी सरकार को अब अपेक्षा अनुसार परिणाम देखने को मिल रहे हैं क्योंकि इसके सीईओ का कार्यभार संभाल रहे अमिताभ कांत तानाशाही की वही भाषा बोल रहे हैं जो सरकार में बैठे तमाम लोग बोला करते हैं।
केंद्र सरकार की एक संस्था का प्रतिनिधित्व करने वाले अमिताभ कांत अपने बयानों से ऐसा जाहिर कर रहे हैं जैसे कि वह बीजेपी आरएसएस द्वारा संचालित किसी संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं।
ताजा उदाहरण लीजिए, देशभर के किसान सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं और नीति आयोग के सीईओ महोदय उन्हें इनडायरेक्टली धमका रहे हैं।
गौरतलब है कि उन्होंने बयान दिया है कि आजकल भारत में आवश्यकता से अधिक लोकतंत्र है, जिसकी वजह से बड़े आर्थिक सुधार नहीं हो पा रहे हैं।
क्योंकि सरकारी संस्था का नेतृत्व करने वाले एक व्यक्ति को लोकतंत्र जरूरत से ज्यादा लग रहा है इसलिए सरकार का मनोबल बढ़ेगा कि विरोध की तमाम आवाजों को दबाकर साबित करे कि वो एक मजबूत सरकार है।
इस प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत भूषण लिखते हैं- ‘नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का कहना है कि “हमारे यहां जरूरत से ज्यादा लोकतंत्र है इसलिए माइनिंग और खेती से जुड़े सख्त सुधार आसानी से लागू नहीं किया जा सकते”
विवाद हुआ तो उन्होंने ऐसे बयान से इनकार कर दिया। गोदी मीडिया ने भी उनके बयान को हटा दिया मगर यहां एक वीडियो रह गया जिसे डिलीट करना ये लोग भूल गए।’
CEO of Niti Aayog, Amitabh Kant says: We have too much democracy! Hard reforms like mining & farm reforms can't be pushed through with this. Later while facing flak, he denied having said this! The Godi media withdrew that statement of his, but they forgot to delete this video! pic.twitter.com/JA5EVasErg
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) December 8, 2020