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Assam NRC

जब पूरे देश में CAA और प्रस्तावित NRC पर बवाल मचा हुआ है तब एक ऐसी खबर आ रही है जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। भारत सरकार के गृहमंत्री अमित शाह देश व्यापी NRC लाने की बात तो कर देते हैं पर अपना डाटा सुरक्षित नहीं रख पाते। ये महज़ डाटा गायब होने की खबर नहीं है सरकारी मशीनरी की हकीक़त की खबर है।

मामला कुछ यूँ है की असम में एनआरसी का अगस्त में प्रकाशित किया गया फाइनल डेटा नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स (NRC) की वेबसाइट से गायब हो गया है। यह डेटा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रकाशित किया गया था।

केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि डेटा सुरक्षित है और कुछ तकनीकी खामियों की वजह से क्लाउड से गायब हुआ है। साथ ही मंत्रालय ने कहा कि समस्या का ‘जल्द ही हल निकाल लिया जाएगा।’

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वहीं, एनआरसी अधिकारियों का कहना है कि डेटा इसलिए वेबसाइट से गायब हो गया क्योंकि आईटी कंपनी विप्रो का कॉन्ट्रेक्ट रिन्यू नहीं किया गया। अब ऐसे में किसकी बात को जनता सही माने और किसे ग़लत ये प्रश्न भी सामने खड़ा हो गया है।

31 अगस्त, 2019 को अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद NRC में भारतीय नागरिकों के शामिल होने और बाहर होने वाले का पूरा विवरण इसकी आधिकारिक वेबसाइट ‘ www।nrcassam।nic।in ‘ पर अपलोड किया गया था। डेटा ऐसे समय ‘गायब’ हुआ है, जब असम में अंतिम एनआरसी सूची को अभी तक भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा आधिकारिक रूप से अधिसूचित नहीं किया गया है।

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असम में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए लाई गई इस लिस्ट से 19 लाख लोग बाहर हैं, जिन्हें अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। केंद्र सरकार ने कहा था कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं है, उन्हें उनके पास मौजूद आखिरी कानूनी विकल्प के इस्तेमाल तक विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा।

अब इस मामले के बाद सरकार को एक बार फिर से अपने विचार पर पुर्विचार करने की ज़रूरत है। देश में का पर अभी बवाल थमा नहीं है पर सरकार है की एक इंच भी पीछे न हटने की बात कह रही है। लोकतंत्र में ऐसा कम ही सुनने को मिलता है। फिलहाल तो और डाटा इकठ्ठा करने की जगह पहले से इकठ्ठा हुए डाटा को सम्भालने की ज़िम्मेदारी सरकार को उठानी चाहिए।

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