दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट ने दरियागंज हिंसा मामले में गिरफ्तार भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद को जमानत दे दी है। उन्हें ये ज़मानत शर्तों के साथ दी गई है। कोर्ट ने कहा कि वह चार हफ्तों तक दिल्ली नहीं आ सकेंगे और चुनावों तक कोई धरना आयोजित नहीं करेंगे।
चंद्रशेखर को दिल्ली पुलिस ने 21 दिसंबर को हिंसा भड़कान के आरोप में दरियागंज से गिरफ्तार किया था। वह तभी से जेल में बंद हैं। अपनी रिहाई के लिए उन्होंने निचली अदालत में पिछले दिनों ही जमानत याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका पर मंगलवार को भी सुनवाई भी हुई थी।
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इस दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा था कि चंद्रशेखर को क्यों गिरफ्तार किया गया। इसपर पुलिस ने उनके प्रदर्शन को आदार बताया था। जिसपर कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन करना किसी भी व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है।
इसके बाद दिल्ली पुलिस ने धार्मिक स्थल पर प्रदर्शन को अपनी दलील के तौर पर पेश किया। जिसपर कोर्ट ने कहा कि आप मुझे बताएं कि किस कानून के तहत किसी को धार्मिक स्थलों के बाहर जाना प्रतिबंधित है? कोर्ट ने सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस ऐसे बर्ताव कर रही है ‘जैसे कि जामा मस्जिद पाकिस्तान है’।
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पुलिस की ओर से पेश सरकारी वकील पंकज भाटिया ने ज़ामनत याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए इसके बाद कहा कि आजाद ने जामा मस्जिद के कैंपस में उत्तेजक भाषण दिया और नागरिकता कानून को लेकर लोगों को भड़काने की कोशिश की।
इसपर कोर्ट ने कहा, ‘‘संसद के अंदर जो बातें कही जानी चाहिए थीं, वे नहीं कही गयीं। यही वजह है कि लोग सड़कों पर उतर गये हैं। हमें अपना विचार व्यक्त करने का पूरा हक है”। सुनवाई के दौरान जज कामिनी लाउ ने पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा कि कौन कहता है कि आप विरोध नहीं कर सकते? क्या आपने संविधान पढ़ा है?