बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी की कमान संभालने को लेकर पार्टी नेता चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के बीच सियासी घमासान जारी है।

इस कड़ी में कल चाचा पशुपति कुमार पारस को अपना दमखम दिखाने के लिए चिराग पासवान ने कल दिल्ली में लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के जरिए शक्ति प्रदर्शन किया है।

चिराग पासवान पहले से ही लोक जनशक्ति पार्टी में टूट के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराते आए हैं।

चिराग पासवान का कहना है कि जब वह बीमार चल रहे थे। तो उनकी पीठ के पीछे लोजपा में यह सियासी घटनाक्रम घटा है। जिसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।

मीडिया से बातचीत के दौरान चिराग पासवान ने कहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी पार्टी में तोड़फोड़ करवाई है।

चिराग पासवान का कहना है कि फरवरी 2005 से ही नीतीश कुमार लोक जनशक्ति पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। जब हमारी पार्टी के 27 विधायक चुने गए थे।

नीतीश कुमार ने पासवान और जाट समुदाय को अलग-थलग करने के मकसद से साल 2006 में महादलितों का एक नया वर्ग गठित किया था। ताकि वह दलित वोटबैंक को अपने पाले में ले सके और खुद को दलित हितैषी दर्शा सकें।

इस बात को तो सभी यह जानते हैं कि उन्होंने जदयू में मौजूद दलित नेताओं के साथ किस तरह का बर्ताव किया है। यहां तक कि उन्होंने जीतन राम मांझी को सत्ता से ही बेदखल कर दिया था।

एक बड़ा खुलासा करते हुए चिराग पासवान ने बताया है कि उनके ही परिवार के कुछ लोग नीतीश कुमार के मुखबिर थे। नीतीश कुमार उन्हें मेरे खिलाफ इस्तेमाल कर रहे थे।

चिराग पासवान ने भाजपा के साथ भविष्य में लोजपा के राजनीतिक संबंधों पर कहा है कि बीते हफ्ते उनकी पार्टी में जो भी सियासी घटनाएं घटी हैं। उसके बारे में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को नहीं पता। यह विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है।

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