ऑक्सीजन की कमी से देश भर में हाहाकार मचा हुआ है। कोरोना की दूसरी लहर में जिस तरह से भारत में लोग तड़प तड़प कर मर रहे हैं, ऐसे में ये समझ में ही नहीं आ रहा है कि भारत में सरकार नाम की कोई चीज है भी नहीं।

पिछले 15 दिनों से ऑक्सीजन की कमी की खबरें देश के अलग अलग हिस्सों से आ रही है लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं कर पाई है।

रोज खबरें चल रही हैं कि यहां से ऑक्सीजन आ रहा है तो वहां से आ रहा है। यहां का ऑक्सीजन प्लांट शुरु कर दिया गया है तो वहां का कर दिया गया है।

अगर इतने जगहों से ऑक्सीजन आ रहा है तो ये जा कहां रहा है? ऑक्सीजन की कमी से मरने वाले लोगों की तादाद कम होने का नाम ही नहीं ले रही है।

ऐसी ही स्थिति को देखते हुए दिल्ली के जाने माने बत्रा हॉस्पिटल के चिकित्सा निदेशक डॉ एससीएल गुप्ता ने कह दिया है कि देश में ऑक्सीजन का संकट है। बड़ी संख्या में मरीज मर रहे हैं।

सरकार कहती है कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है लेकिन ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं। मुझे पता ही नहीं चल रहा है कि ये देश चला कौन रहा है ? कार्यपालिका या न्यायपालिका !

डॉ गुप्ता ने कहा कि कोरोना के इलाज के लिए ऑक्सीजन, दवाई और वैक्सीन की जरुरत है और हमारे पास इनमें से कुछ भी उपलब्ध नहीं है।

मालूम हो कि बत्रा अस्पताल में पिछले शनिवार को 12 मरीजों ने ऑक्सीजन के अभाव में जान गंवा दी। डॉ गुप्ता ने कहा कि ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी है।

सरकार पर निशाना साधते हुए डॉ एससीएल गुप्ता ने कहा कि कोरोना की पहली लहर से किसी ने कोई सबक नहीं लिया।

जब जब कोरोना वायरस फैलता है, सरकार अस्थायी अस्पताल बना देती है जबकि हकीकत यह है कि कोरोना से लड़ने के लिए अस्थायी अस्पताल कोई विकल्प नहीं है।

डॉ गुप्ता ने कहा कि जिस पैमाने पर लोग ऑक्सीजन की कमी से मर रहे हैं, वैसे में मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि पिछले 14 महीनों में इस देश की सरकार ने किया क्या है आखिर !

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