भारत में बेकाबू हो रहे कोरोना संक्रमण के हालात को देखते हुए कई देशों ने चिंता जाहिर की है। वहीँ कई देश भारत में आई इस त्रासदी के दौरान मदद के लिए आगे भी आए।

कई विपक्षी पार्टियों द्वारा कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बनी इस भयावह स्थिति के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार बताया गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कोरोना संक्रमण के हालात बिगड़ते देख भी सरकार अपने चुनाव प्रचार में जुटी रही। स्थिति को नजरअंदाज किया गया।

अब इस संदर्भ में आरबीआई के पूर्व गवर्नर और मोदी सरकार के कड़े आलोचक रहे रघुराम राजन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।

रघुराम राजन ने भारत में कोरोना संक्रमण की वजह से बिगड़ रहे हालात के लिए लीडरशिप और दूरदर्शिता को जिम्मेदार बताया है।

उन्होंने कहा है कि बीते साल जब भारत में कोरोना संक्रमण के पहले लहर आई थी तो उसके बाद पैदा हुई आत्ममुग्धता का भी देश को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

बीते कुछ दिनों से भारत में हर दिन 3 से 4 लाख के बीच कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं।

पूर्व आरबीआई गवर्नर का कहना है कि कोरोना संक्रमण पर कंट्रोल पाने के लिए मोदी सरकार पर सख्त लॉकडाउन लगाने का दबाव भी है। लेकिन सरकार अब तक लॉकडाउन लगाने से साफ तौर पर इंकार कर रही है।

रघुराम राजन ने एक इंटरव्यू के दौरान यह कहा है कि अगर आप सावधान रहते तो आज यह हालात ऐसे नहीं बनते। आपको यह समझना चाहिए था कि कोरोना संक्रमण का खतरा खत्म नहीं हुआ है।

दुनिया के दूसरे देशों में जो हुआ है उससे ही अंदाजा लगा लेना चाहिए था कि कोरोना संक्रमित वापस आ रहा है। इस बार का स्ट्रेन पहले के मुकाबले ज्यादा खतरनाक हो चुका है।

भारत की सरकार को लगा कि बीते साल कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आने के बाद सब ठीक हो गया है। इसके चलते सरकार ने देश से लॉकडाउन हटा दिया। सरकार की यही गलती आज देश को भारी पड़ रही है।

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